CBI की जांच में केजरीवाल सरकार पर भाजपा के नेताओं की जासूसी के आरोप लगे हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 में आम आदमी सरकार ने नेताओं और अफसरों की जासूसी कराई थी। इसके लिए एक फीडबैक यूनिट बनाई गई थी। CBI ने जांच में आरोपों को सही पाया है।
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सूत्रों के मुताबिक, CBI ने उप-राज्यपाल वीके सक्सेना से आगे जांच करने की इजाजत मांगी है और LG ने यह मामला अब राष्ट्रपति के पास जांच के लिए भेज दिया है। भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली की फीडबैक यूनिट जासूसी कर रही है।
केजरीवाल सरकार ने 2015 में बनाई फीडबैक यूनिट 2015 विधानसभा चुनाव में बहुमत हासिल करने के बाद अरविंद केजरीवाल ने एक फीडबैक यूनिट (FBU) बनाई। इसका काम विभागों, संस्थानों, स्वतंत्र संस्थानों की निगरानी करना था और यहां के कामकाज पर प्रभावी फीडबैक देना था, ताकि इस आधार पर जरूरी सुधारों का एक्शन लिया जा सके।
राजनीतिक खुफिया जानकारी जुटाने में लग गई FBU CBI की शुरुआती जांच में सामने आया है कि FBU को जो काम दिया गया था, वह उसके अलावा खुफिया राजनीतिक जानकारियां जुटाने में भी लग गई। वह किसी व्यक्ति की राजनीतिक गतिविधियों, उससे जुड़े संस्थानों और AAP के राजनीतिक फायदे वाले मुद्दों के लिए जानकारी जुटाने लगी।
विजिलेंस अफसर की शिकायत पर जांच, 12 जनवरी को रिपोर्ट सौंपी 2016 में विजिलेंस डिपार्टमेंट में काम कर रहे एक अफसर की शिकायत पर CBI ने जांच शुरू की थी। 12 जनवरी 2023 को CBI ने विजिलेंस डिपार्टमेंट में रिपोर्ट दाखिल की। एजेंसी ने उप-राज्यपाल वीके सक्सेना से दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के िखलाफ केस दर्ज करने की मांग की है। CBI ने 2016 में विजिलेंस डायरेक्टर रहे सुकेश कुमार जैन और कई अन्य पर केस दर्ज करने की इजाजत मांगी है। सूत्रों के मुताबिक LG सक्सेना ने अब इस मामले को राष्ट्रपति के पास भेज दिया है।
700 केसों की जांच FBU ने की, इनमें 60% राजनीतिक CBI के मुताबिक, अभी यह साफ नहीं कि FBU अभी भी एक्टिव है या नहीं। FBU ने अब तक 700 केसों की जांच की, इनमें 60% राजनीतिक थे या फिर ऐसे, िजनका निगरानी से कोई लेनादेना नहीं है।