सिरोही के पिंडवाड़ा में रहने वाले महेंद्र मीणा (40) को सिलिकोसिस बीमारी है। महेंद्र का टीबी अस्पताल में इलाज चल रहा है। सोमवार रात को उसके बेड के पास नीचे फर्श पर उसकी पत्नी रेखा 1 बेटी और 2 बेटों को लेकर सो रही थी। वार्ड में घूम रहे आवारा कुत्ते उसके एक महीने के बेटे विकास को उठाकर ले गए।
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रात करीब 1:30 बजे रेखा की नींद खुली तो बच्चा गायब था। फौरन बच्चे को ढूंढना शुरू किया। बच्चे की तलाश शुरू की गई तो वार्ड के बाहर पानी की टंकी के पास कुछ कुत्ते उसे नोंचते दिखे। महिला दौड़कर वहां गई तब तक एक कुत्ता बच्चे का हाथ मुंह में दबाकर भाग गया। कुत्तों ने उसे नोंच-नोंचकर मार डाला था।
जहां कुत्ते बच्चे को नोंच रहे थे, वहां जब तक उसकी मां पहुंची, तब तक बच्चे की मौत हो चुकी थी। अस्पताल में CCTV लगे हैं, लेकिन फिलहाल इसके फुटेज सामने नहीं आए हैं। अस्पताल प्रशासन भी इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
कार्यवाहक प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. वीरेंद्र महात्मा ने बताया कि घटना की पूरी जांच कराई जाएगी कि किन कारणों के चलते ऐसा हुआ है। मौके पर पहुंची पुलिस ने मेडिकल बोर्ड से पोस्टमॉर्टम कराया, फिर मंगलवार को अंतिम संस्कार कराया।जिला प्रशासन की तरफ से गठित मेडिकल बोर्ड के प्रभारी डॉ. शक्ति सिंह ने बताया कि बच्चे का सिर, एक हाथ और दो पैर बचे थे। उसका पेट और एक हाथ नहीं था।
घटना की जानकारी मिलने पर स्थानीय भाजपा नेता अस्पताल पहुंचे और अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गए। वे परिवार को मुआवजा और दोषियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से फेल है।
अस्पताल में कुत्तों के झुंड के झुंड घूम रहे हैं, यहां कोई भी सुविधा नहीं है। मुख्यमंत्री और यहां के स्थानीय विधायक कहते हैं कि हमने अस्पतालों को बदल दिया है। एक बच्चे को कुत्ते मार डालते हैं तो व्यवस्था कहां है? भाजपाइयों ने अस्पताल और जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।सिरोही विधायक संयम लोढ़ा ने राजस्थान विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। पीड़ित मां को सरकारी नौकरी और 10 लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की है। विधायक ने इस घटना को मानवता को शर्मसार करने वाली घटना करार दिया है।