जापान ने अपने H3 मिडियम रॉकेट को मंगलवार को लिफ्ट-ऑफ के बाद तबाह कर दिया। जापान की एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) से लॉन्च होने के बाद रॉकेट का सेकेंड स्टेज इंजन फेल हो गया। इसके बाद JAXA ने रॉकेट को सेल्फ-डिस्ट्रक्ट सिग्नल भेज दिए। रॉकेट में एक ALOS-3 ऑबजर्वेशनल सैटेलाइट थी। ये एक डिजास्टर मैनेजमेंट सैटेलाइट है, जिसमें एक इंफ्रारेड सेंसर लगा हुआ था। इसकी मदद से नॉर्थ कोरिया की बैलिस्टिक मिसाइल को डिटेक्ट किया जा सकता है। इसके अलावा इस रॉकेट का इस्तेमाल सरकारी और कॉमर्शियल सैटेलाइट्स को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने के लिए भी किया जाता था।
Join DV News Live on Telegram
मंगलवार की सुबह करीब 10:37 बजे रॉकेट को स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। शुरुआत में इसे मिशन को सफल बताया गया। लेकिन कुछ देर बाद रॉकेट में गड़बड़ी नजर आने लगी। स्पेस एजेंसी JAXA से अनाउंसर ने कहा- रॉकेट की स्पीड कम होती नजर आ रही है। सेकेंड स्टेज इंजन के स्टार्ट होने की अब तक पुष्टि नहीं हुई है।
रॉकेट लॉन्चिंग को लाइव ब्रॉडकास्ट किया जा रहा था। इसे गड़बड़ी होने पर कुछ देर के लिए रोक दिया गया। ब्रॉडकास्ट फिर से शुरू होने पर स्पेस एजेंसी ने घोषणा की कि रॉकेट को नष्ट किया जा रहा है क्योंकि ये मिशन पूरा नहीं कर पाएगा। इससे पहले 17 फरवरी को भी जापान ने H3 रॉकेट के लॉन्च को रद्द कर दिया गया था। तब इसका सेकेंडरी बूस्टर इंजन स्टार्ट नहीं हो पाया था। लॉन्चिंग काउंटडाउन खत्म होते ही लिफ्ट-ऑफ से ठीक पहले इसे रोक दिया गया था।
H3 रॉकेट को एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट के प्रतियोगी के तौर पर देखा जा रहा था। दरअसल, दिसंबर में जापान ने एक क्राफ्ट लॉन्च किया था। ये दुनिया का पहला कॉमर्शियल लूनर लैंडर हो सकता है। इस दौरान जापान के बिजनेसमैन युसाकू मेजावा ने अपने क्रू मेंबर्स की भी जानकारी दी थी, जो पहली बार चांद तक की उड़ान भरेंगे।
हालांकि, जापान के ये दोनों प्रोजेक्ट्स स्पेसएक्स के रॉकेट पर निर्भर हैं। रूसी रॉकेट मौजूद नहीं होने की स्थिति में जापान पर खुद के डिलवरी सिस्टम बनाने का प्रेशर है, जिससे वो अपने रॉकेट के जरिए मिशन पूरा कर सके।