JDU की नयी राष्ट्रीय कार्यसमिति का एलान मंगलवार को किया गया है. नयी कार्यसमिति से केसी त्यागी को आउट कर दिया गया है और यूपी के बाहुबली धनंजय सिंह को जगह मिली है. खांटी समाजवादी विचारधारा के नेता और नीतीश कुमार के करीबी कहे जाने वाले केसी त्यागी भी यूपी के रहने वाले हैं. JDU की नयी राष्ट्रीय कार्यसमिति में अपने बयानों से विवादों में रहने वाले मौलाना गुलाम रसूल बलियावी को एकबार फिर जेडीयू का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया है. नीतीश कुमार शुचिता की राजनीति की बात करते रहे हैं. इसके बाद भी जेडीयू में धनंजय सिंह का लगातार कद बढ़ रहा है.

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धनंजय सिंह को जेडीयू ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी मैदान में उतारा था. लेकिन वह जीत नहीं सके थे. धनंजय सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे. जिसके बाद जेडीयू को यूपी में उनमें अपना भविष्य दिख रहा है. धनंजय सिंह की पहचान एक बाहुबली की है. उनपर हत्या, अपहरण समेत कई मामले दर्ज हैं. वह यूपी में विधायक और सांसद रह चुके हैं. अरबों की संपत्ति के मालिक धनंजय सिंह ने तीन शादियां की है.

केसी त्यागी केंद्र की राजनीति में जेडीयू का पक्ष रखते थे. बिना विवाद के वह अपनी बातों को कहने के लिए जाने जाते हैं. नीतीश कुमार के केंद्रीय राजनीति को बढ़ाने के मिशन में वह समर्पित माने जाते हैं. दिल्ली दौरे के दौरान नेताओं से मुलाकात के दौरान नीतीश कुमार के साथ केसी त्यागी देखे जाते हैं. बीजेपी के साथ दोबारा गठबंधन कराने में केसी त्यागी की अहम भूमिका रही थी. केसी त्यागी ना काहु से दोस्ती ना काहु से बैर की राजनीति करने के लिए जाने जाते हैं. जेडीयू के समर्पित नेता केसी त्यागी का विरोधी दल के नेता भी सम्मान करते हैं.

केसी त्यागी को कार्यसमति के आउट किए जाने पर कहा जा रहा है कि वह खुद इस पद पर नहीं रहना चाहते थे. कहा जा रहा है कि केसी त्यागी जेडीयू के नए नेताओं के साथ असहज महसूस कर रहे थे, खासकर जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह के साथ. महासचिव पद से हटाए जाने के बाद केसी त्यागी ने कहा है कि- वह अलग- अलग राजनीतिक पार्टियों में अहम पदों पर रहे. चौधरी चरण सिंह के साथ लोकदल में काम करने का अवसर मिला. लोकदल में अहम पदों पर रहा. जेडीयू में जार्ज फर्नाडीस के जमाने से पदाधिकारी था. इसके बाद मैंने नीतीश कुमार से अपील की थी हमें राष्ट्रीय टीम से मुक्त कर दिया जाए, हमारे अनुरोध को उन्होंने माना.