मुंबई में पिछले दिनों हुई हिंदू जन आक्रोश रैली के मामले में जस्टिस जोसेफ ने बड़ा बयान दिया है. जस्टिस जोसेफ ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार नपुंसक है और कुछ नहीं कर रही. शांत है, इसलिए सबकुछ हो रहा है. जस्टिस जोसेफ कहा कि कहा कि जिस वक्त राजनीति और धर्म को अलग कर दिया जाएगा है. यह सब समाप्त हो जाएगा. अगर राजनेता धर्म का इस्तेमाल बंद कर देंगे. ये सब बंद हो जाएगा.
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हम केवल इतना कह सकते हैं देखना है कि आप सुनेंगे या नहीं. वकील विष्णु शंकर जैन ने सर तन से जुदा के बारे में कोर्ट को बताया. जस्टिस जोसेफ ने अभद्र भाषा एक दुष्चक्र है और लोग उस पर प्रतिक्रिया देंगे. सरकार को एक प्रक्रिया शुरू करनी होगी. जस्टिस जोसेफ ने कहा कि सरकार नपुंसक है और कुछ नहीं कर रही. शांत है, इसलिए सबकुछ हो रहा है. जस्टिस जोसफ ने एसजी से कहा कि ड्रामा मत करिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार से कहा कि आप क्या तंत्र बना रहे हैं. इस पर जवाब दें, अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक बयानबाजी पर सवाल उठाया. कोर्ट ने कहा कि जब सकल हिंदू समाज की ओर से वकील ने दलील दी कि उसके संगठन को धार्मिक जुलूस निकालने का अधिकार है. इस पर शीर्ष अदालत ने कहा कि जुलूस निकालने का अधिकार है लेकिन क्या ऐसी रैली के जरिये आपको देश का कानून तोड़ने की इजाजत दी जा सकती है.
ऐसी रैली के जरिये ऐसी बातें कहीं जा रही है, जो अल्पसंख्यक समुदाय को नीचा दिखाने वाली है. मसलन उन्हें पाकिस्तान जाने के लिए कहा जा रहा है. लेकिन ये वो लोग है , जिन्होंने इस देश को अपना देश चुना. वे तुम्हारे भाई – बहन की तरह है. भाषण का स्तर इस निम्न स्तर तक नहीं जाना चाहिए. विभिन्नताओं को स्वीकार करने की हमारी संस्कृति रही है.
उन्होंने कहा कि सवाल ये है कि आखिर कोर्ट कैसे इन मामलों से निपटेगा. सुप्रीम कोर्ट एक के बाद एक कितने ऐसे अवमानना मुकदमों को देख सकता है. बेहतर हो कि हम संयन बरते और दूसरे धर्म/ सम्प्रदाय के लिए कोई अप्रिय बात ही नहीं कहे. सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसीटर जनरल से कहा कि अगर सरकार इसके खिलाफ कोई तंत्र लेकर आए तो बेहतर होगा. सॉलिसीटर जनरल ने कहा कानून है और वो काफी है.