गंगा से जुड़ा गंगा सप्तमी पर्व, जिसे हिंदू धर्म में नदी नहीं बल्कि देवी माना जाता है, इस साल गुरुवार, 27 अप्रैल, 2023 को मनाया जाएगा। यह पवित्र त्योहार, जो हर साल महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है। वैशाख को हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन माँ गंगा भगवान ब्रह्मा के कमंडल से निकली थीं और भगवान शिव के बालों में विलीन हो गई थीं। सनातन परंपरा में गंगा सप्तमी पर्व को गंगा जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। आइए जानते हैं गंगा सप्तमी के पावन पर्व, जिसे जह्नु सप्तमी के नाम से भी जाना जाता है, का शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व।
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प्रयागराज के जाने-माने ज्योतिषविद् एवं धर्म शास्त्र के ज्ञाता पं. देवेंद्र त्रिपाठी के अनुसार इस साल वैशाख मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि 27 अप्रैल 2023 को सूर्योदय के बाद 18 दंड 48 पल है. इस दिन यह पावन तिथि प्रयागराज के समयाानुसार 01:05 बजे तक और देश की राजधानी दिल्ली के अनुसार दोपहर 01:38 बजे तक रहेगी. ऐसे में गंगा सप्तमी का महापर्व 27 अप्रैल 2023, गुरुवार को ही मनाया जाएगा. वहीं इस साल गंगा दशहरा का पावन पर्व 30 मई 2023 को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार गंगा सप्तमी की मध्याह्न पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात:काल 11 बजे से लेकर दोपहर 01:38 बजे तक रहेगा.
गंगा सप्तमी की पूजा विधि
गंगा सप्तमी के दिन मां गंगा की पूजा करने के लिए प्रात:काल सूर्योदय से पहले उठें ओर यदि संभव हो तो गंगा तट पर जाकर स्नान करें. यदि गंगा तट पर किसी कारण न जा पाएं तो अपने घर में पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर मां गंगा का ध्यान करते हुए स्नान करें. स्नान के बाद मां गंगा की मूर्ति या फोटो पर गंगा जल छिड़कें और पुष्प, चंदन, फल, मिष्ठान आदि अर्पित करें. इसके बाद शुद्ध घी का दीया जलाकर मां गंगा के स्तोत्र का पाठ या उनके मंत्र”ॐ नमो गंगायै विश्वरूपिण्यै नारायण्यै नमो नमः”का जप करें. पूजा के अंत में मां गंगा की आरती करके उनसे सुख-समृद्धि और सौभाग्य का आशीर्वाद मांगे.
गंगा सप्तमी पर मां गंगा की पूजा का पुण्य फल पाने के लिए व्यक्ति को यदि संभव हो तो गंगा तट पर जाकर गंगा स्नान करने के बाद किसी जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न, वस्त्र एवं धन आदि का यथासंभव दान करना चाहिए. मान्यता है कि दान से जुड़े इस उपाय को करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है.