No Confidence Motion In Parliament: इन दिनों मणिपुर में हो रही हिंसा के मुद्दे को लेकर संसद के मानसून सत्र के दौरान दोनों सदनों में जोरदार हंगामा हो रहा है. विपक्षी दल इस मुद्दे पर संसद में पीएम मोदी के बयान और चर्चे की मांग कर रहे हैं. जबकि सत्ता पक्ष ने आरोप लगाया कि हम चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन विपक्षी नेता ही भाग रहे हैं. इन सबके बीच बुधवार (26 जुलाई) को विपक्ष ने लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. हालांकि मोदी सरकार इस अविश्वास प्रस्ताव को लेकर बेफिक्र नजर आ रही है.

विपक्ष पीएम मोदी से संसद में बयान देने की कर रहे हैं मांग

मणिपुर हिंसा को लेकर कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन इंडिया के अन्य घटक दल पीएम मोदी से संसद में बयान देने और चर्चा की मांग कर रहे हैं. इस मुद्दे पर मानसून सत्र के पहले दिन (20 जुलाई) से ही हंगामा हो रहा है. हाल ही में मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र करके घुमाने और यौन उत्पीड़न का वीडियो भी सामने आया था. जिसके बाद पूरे देश में गुस्सा देखा गया.

मणिपुर के मुद्दे पर बना हुआ है गतिरोध

दरअसल, मणिपुर में अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मैतई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को आदिवासी एकजुटता मार्च निकाली गई थी. जिसके बाद राज्य में जातीय हिंसा भड़क गई थी. इस दौरान अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं. विपक्ष का कहना है सरकार मणिपुर में हिंसा रोकने में विफल रही है. इसी मुद्दे को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष में गतिरोध बना हुआ है. जिसके बाद बुधवार को विपक्षी दल अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए.

अविश्वास प्रस्ताव क्या होता है, किस नियम के तहत लाया जाता है?

अविश्वास प्रस्ताव का उपयोग विपक्ष सरकार में अपने विश्वास की कमी को व्यक्त करने के लिए करता है. विश्वास बनाए रखने के लिए सत्तारूढ़ दल को सदन में अपना बहुमत साबित करना होता है. सरकार तब तक सत्ता में रह सकती है जब तक उसके पास लोकसभा में बहुमत है.

संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का उल्लेख अनुच्छेद 75 में किया गया है. इसके मुताबिक अगर सत्ता पक्ष इस प्रस्ताव पर हुए मतदान में हार जाता है तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना होता है. सदस्य नियम 184 के तहत लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश करते हैं और सदन की मंजूरी के बाद इस पर चर्चा और मतदान होता है.

सिर्फ लोकसभा में लाया जाता है

संविधान के अनुच्छेद 75 के अनुसार, मंत्रिमंडल सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति जवाबदेह है. ये प्रस्ताव सिर्फ विपक्ष ही ला सकता है और इसे लोकसभा में ही पेश किया जा सकता है, राज्यसभा में नहीं. संसद में कोई भी पार्टी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है और सत्तारूढ़ सरकार को सत्ता में बने रहने के लिए बहुमत साबित करना होता है.