प्याज की कीमतें नियंत्रण में रखने के लिए केंद्र सरकार ने इसके निर्यात पर 40 प्रतिशत ड्यूटी लगा दी है। सरकार के इस फैसले के खिलाफ मध्यप्रदेश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। भारतीय किसान संघ ने मंगलवार को इंदौर कलेक्टर ऑफिस का घेराव किया। रतलाम में नाराज किसानों ने मंडी में नीलामी बंद रखी। सैकड़ों किसानों ने मंडी गेट बंद कर दिया। उनकी मांग है कि निर्यात शुल्क का निर्णय वापस लिया जाए। शुल्क वापस नहीं लेने पर आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

इंदौर में किसानों ने प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन सौंपा। किसान संघ के जिला अध्यक्ष कृष्णपाल सिंह राठौर ने कहा कि सरकार इस फैसले को 15 दिन के अंदर वापस ले। अन्यथा आने वाले दिनों में भारतीय किसान संघ देश के सभी सांसदों का घेराव करेगा। मालवा प्रांत के 15 जिलों में ज्ञापन दिए जा चुके हैं। ज्ञापन देने लगभग 400 लोग पहुंचे। इनमें बड़ी संख्या में महिलाएं थीं।

राठौर ने कहा कि किसान की लागत 25 से 30 रुपए तक ही है। इस एक्साइज ड्यूटी से लागत भी नहीं निकल पाएगी। सरकार प्याज को 15 से 17 रुपए बेचना चाहती है। इससे हमारा काफी नुकसान होगा। सुनवाई नहीं हुई तो सभी सांसदों का घेराव करने के साथ ही प्रांत की सभी मंडियों को बंद किया जाएगा।

कीमतों पर नियंत्रण के लिए लगाई ड्यूटी

टमाटर के बाद प्याज के बढ़ते दामों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। देश में प्याज की कीमतों को काबू में रखने के लिए केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर 40% ड्यूटी लगा दी है। अभी तक इसके निर्यात पर कोई टैक्स नहीं वसूला जाता था। सरकार इस कदम से देश में प्याज की उपलब्धता को बनाए रखना चाहती है। इससे कीमतें भी नियंत्रण में रहेंगी। वित्त मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी किया है कि प्याज पर निर्यात ड्यूटी 31 दिसंबर तक रहेगी।

पिछले साल से 14 गुना महंगा हुआ प्याज

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, प्याज की कीमतें बढ़ना शुरू हो गई हैं, क्योंकि 10 अगस्त को इसका ऑल इंडिया रिटेल प्राइस 27.90 रुपए किलो था, जो एक साल पहले इसी अवधि में 2 रुपए किलो से थोड़ा ज्यादा था। यानी पिछले साल के मुकाबले प्याज 14 गुना महंगा हो चुका है।