राजस्थान के अलवर में नंदी की शव यात्रा चर्चा का विषय बनी हुई है. नंदी की शव यात्रा बुलडोजर पर निकाली गई. इसमें बैंड-बाजे के साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए. लोगों का कहना है कि नंदी से लोगों का खास जुड़ाव था. सभी लोग उसे बहुत पसंद करते थे. बैंड बाजे से निकली यह अनोखी शव यात्रा सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है.

जानकारी के मुताबिक, धीरोडा गांव की गौशाला में एक बूढ़े और अंधे नंदी की मौत हो गई. वो लंबे लंबे समय से बीमार चल रहा था. उम्र ज्यादा होने के कारण वो पैरों से चलने-फिरने में भी असमर्थ था. नंदी की मौत की जानकारी मिलते ही गौ सेवक जमा हुए और पूरे विधि-विधान से उसका अंतिम संस्कार किया गया. विधिवत पूजा करके उसको नए सफेद वस्त्र और माला पहनाई गई.

धूमधाम के साथ निकाली गईं नंदी की शव यात्रा

इसके बाद जेसीबी से अंतिम शव यात्रा निकाली गई. फिर शव को उठाकर एक गड्ढे में दफनाया दिया गया. गौशाला संचालक प्रदीप चौधरी ने बताया कि 20 साल से नंदी इस क्षेत्र में रहता था. नंदी का व्यवहार साधु-संतों की तरह शांत था. उसने आज तक पूरे क्षेत्र में किसी पर भी हमला नहीं किया.

6 महीने पहले चली गई थी आंखों की रोशनी

प्रतिदिन वो कस्बे के बाजार में जाता था और लोग उसे खाना खिलाते थे. लोग उसे जो खिलाते वो खाना खाने के बाद वो चला आता था. स्थानीय लोग नंदी को खासा पसंद करते थे. वह करीब छह माह पहले उसकी आंखों की रोशनी चली गई थी. इसलिए उसे चलने फिरने में परेशानी होती थी. नंदी से लोगों का जुड़ाव था. इसलिए उसकी अंतिम शव यात्रा में भी बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए. सोशल मीडिया पर इसकी तस्वीरें वायरल हो रही हैं.