धड़कनें बढ़ गईं और सांसें थमी की थमी रह गईं, जब उत्तर प्रदेश विधानसभा के बगल से सेना के हेलीकॉप्टर उड़ते दिखाई दिए. नो फ्लाइंग जोन में हेलीकॉप्टर का उड़ना लोगों और सुरक्षाकर्मियों को हैरत में डाल गया. विधानसभा, मुख्यमंत्री कार्यालय लोकभवन, बापू भवन, पुराना मुख्यमंत्री कार्यालय शास्त्री भवन (लाल बहादुर शास्त्री भवन) योजना भवन के आसपास के लोगों में अफरातफरी मच गई. लोग परेशान हो गए कि जहां ड्रोन तक नहीं उड़ सकते, वहां हेलीकॉप्टर कैसे उड़ रहा है?
500 मीटर की ही दूरी पर 5 कालिदास मार्ग पर मुख्यमंत्री आवास भी है और सुरक्षा के दृष्टिकोण से तैयारी ऐसी रहती है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता है, तब ये हेलीकॉप्टर कैसे उड़ सकता है? जब पता चला कि वायुसेना के हेलीकॉप्टर का उड़ना सुरक्षा व्यवस्था को लेकर मॉकड्रिल है, तब जाकर स्थिति सामान्य हुई. इसके पहले सुरक्षा-व्यवस्था को जांचने के लिए रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और एयरपोर्ट पर मॉकड्रिल होती रही है, लेकिन विधानसभा की सुरक्षा को लेकर मॉकड्रिल के होने की ये संभवतः पहली घटना है.
सुरक्षा को लेकर यूपी और केंद्र सरकार गंभीर
बुधवार को लोकभवन में भी शाम चार बजे से एनएसजी जवानों की मॉकड्रिल शुरू होगी. श्रीराम मंदिर निर्माण की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है. साथ ही दिल्ली के बाद देश के सबसे महत्वपूर्ण सूबे की सुरक्षा को लेकर के केंद्र सरकार भी गंभीर है. इन कारणों से एनएसजी और यूपी एसएसएफ (उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स) की ये साझा मॉकड्रिल हो रही है. इस मॉकड्रिल में यूपी एसएसएफ के जवान भी रहेंगे.
NSG अधिकारियों ने गृह सचिव से की मुलाकात
आतंकी हमलों से निपटने के लिए यूपी एसएसएफ की मुस्तैदी और फुलप्रूफ प्लान को लेकर बुधवार को लोकभवन में जो मॉकड्रिल होनी है, ये उसका रिहर्सल बताया जा रहा है. एनएसजी के उच्च अधिकारियों ने यूपी के प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद से मुलाकात की और मॉकड्रिल की जानकारी दी. मॉकड्रिल में एनएसजी द्वारा गोलियों और बमों की आवाज निकालकर आतंकी हमले का सीन क्रिएट किया जाएगा और यूपी एसएसएफ के जवानों द्वारा हमले को काउंटर करने के तरीके और टाइमिंग पर विशेष फोकस होगा.
बता दें कि उत्तर प्रदेश के कई शहरों विशेष रूप से लखनऊ-अयोध्या और वाराणसी को लेकर पूर्व में आतंकी हमले की धमकी दी जा चुकी है. ऐसे में इस तरह के मॉकड्रिल की आवश्यकता महसूस की जा रही थी. आम धारणा है कि मोदी-योगी के शासन में आतंकी घटना असंभव है और इसी धारणा को सरकार और मजबूत बनाना चाहती है.