यूरोपियन कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस ने बुधवार को पहला C-295 टेक्निकल मिलिट्री एयरलिफ्ट प्लेन भारतीय वायुसेना को स्पेन में सौंप दिया। ये एयरक्राफ्ट 25 सितंबर को दिल्ली से सटे गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर आयोजित एक कार्यक्रम में आधिकारिक तौर पर भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल किया जाएगा।

सूत्रों ने बताया, पहले C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की तैनाती आगरा एयरबेस में होगी। इस विमान को चलाने की ट्रेनिंग देने के लिए ट्रेनिंग सेंटर भी आगरा में अगले साल तक तैयार हो जाएगा। फिलहाल स्पेन की सेविले फेसिलिटी में भारतीय वायुसेना के 6 पायलट और 20 टेक्नीशियन को इसे उड़ाने के लिए ट्रेंड किया गया है। इसके बाद 18 पायलट और 60 टेक्नीशियन स्पेन में ही ट्रेनिंग लेंगे।

जब आगरा का ट्रेनिंग सेंटर खुल जाएगा तो यही मास्टर ट्रेनर बाकी पायलट और टेक्नीशियन को ट्रेनिंग देंगे। C-295 ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के लिए आगरा एयरबेस को इसलिए चुना गया है, क्योंकि इसे खासतौर पर पैराट्रूपर्स के लिए बनाया गया है और आगरा में ही भारतीय वायुसेना का पैराट्रूपर्स ट्रेनिंग स्कूल है।

C-17 है जंबो जेट, लेकिन C-295 की खूबियां अलग

यूं तो भारतीय सेना के पास मालवाहक विमान के रूप में सबसे बेहतर C-17 ग्लोबमास्टर एयरक्राफ्ट है। ये विश्व के बड़े मालवाहक विमानों में से एक है। एक बार में ये विमान 200 से ज्यादा लोगों को लेकर उड़ने की क्षमता रखता है। ये कारगिल, लद्दाख और पूर्वी व उत्तरी सीमाओं जैसी कठिन जगहों पर भी आसानी से उतर सकता है।

लेकिन सी-295 की खासियत ये है कि इमरजेंसी में शॉर्ट टेक ऑफ और लैंडिंग की जा सकती है। मात्र 320 मीटर ट्रैक पर ये टेक ऑफ कर सकता है, जबकि लैंडिंग के लिए इसे सिर्फ 670 मीटर रनवे चाहिए। ऐसे में खासकर पहाड़ी क्षेत्रों, जहां रनवे छोटे हैं, वहां ये एयरक्राफ्ट मददगार साबित होगा।