Janjgir-Champa News: छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में एक हजार में से अमूमन 11 से 12 बच्चे गंभीर कुपोषण का शिकार हैं. जांच में 97 हजार में से 7 हजार 430 बच्चे कुपोषित पाये गये हैं, जबकि 1117 बच्चे गंभीर कुपोषित हैं. आंकड़ो से साफ जाहिर है कि 6 परियोजनाओं के तहत उचित देखरेख के लिए, बच्चे एनआरसी तक भी नहीं पहुंचा पा रहे हैं. हालांकि मध्यम कुपोषित बच्चों की संख्या 7430 है. यह आंकड़ा केवल जांजगीर-चांपा जिले का है.

इस बार वजन त्योहार में 97 हजार बच्चे का वजन किया गया है. बच्चों को कुपोषण से रोकना एवं महिलाओं को एनीमिया से बचाना सरकार की पहली प्राथमिकता है. जिला प्रशासन ने डीएमएफ फंड से बाकायदा कुपोषित बच्चों को अंडा और केला देने के लिए फंड भी स्वीकृत किया है, इसके अलावा बाल संदर्भ योजना से लेकर रेडी-टू-इट-फूड गर्भवती और शिशुवती महिलाओं को दिया जाता है.

आंगनबाड़ी केन्द्र में आने वाले बच्चों को पूरा पोषण आहार दिया जा रहा है, लेकिन इन सब के बावजूद कुपोषित मरीजों की संख्या कम नहीं हो रही है. हर साल कम से कम तीन से चार बार वजन त्योहार मनाया जाता है, जिससे वास्तविक कुपोषण व सुपोषण का पता लगाया जा सके. जानकारी के अनुसार पखवाड़े भर तक वजन त्योहार मनाया गया, जिसमें 97 हजार बच्चों का वजन किया गया, जहां 7 हजार 430 मध्यम कुपोषित और 1117 गंभीर कुपोषित बच्चे मिले हैं.

कुपोषण और सुपोषण की नहीं निकल पाई दर

सभी परियोजनाओं के तहत वजन त्योहार तो चल रहा है, लेकिन वास्तविक कुपोषण दर आंकड़ा अभी नहीं आया है. जिसके कारण जिले की कुपोषण और सुपोषण की दर भी स्पष्ट नहीं हो पाई है. बताया जाता है कि वजन त्योहार बुधवार (13 सितंबर) को शत प्रतिशत किया गया है, उसके बाद सेक्टर वार इसकी जानकारी ऑनलाईन अपलोड की जाएगी. इस प्रक्रिया के पूरी होने के बाद राज्य और जिले का कुपोषण दर निकल पाएगा.

आंगनबाड़ी में कम आते हैं बच्चे ग्रामीण आंगनबाड़ी में तो बच्चे ठीक-ठाक आ जाते हैं, परंतु शहरी क्षेत्र में बच्चे नहीं आ पाते हैं. जिसकी वजह से उनकी नियमित देखभाल नहीं हो पाती है. नतीजतन वास्तविक रिपोर्टिंग भी नहीं हो पाती है. आलम यह है कि जहां पर आंगनबाड़ी दर्ज बच्चे हैं, वहां केवल 50 फीसदी बच्चे ही आते हैं. कई लोग अपने बच्चे को आंगनबाड़ी भी नहीं भेजते हैं.

हर ब्लॉक में बना एनआरसी सेंटर

गंभीर कुपोषित बच्चों को स्वस्थ्य रखने के लिए हर ब्लॉक में एनआरसी बना हुआ है, परंतु इतनी ज्यादा बच्चे गंभीर कुपोषित होने के बाद भी एनआरसी में बेड खाली रहते हैं. अधिकांश परियोजना में 10-10 बेड का एनआरसी बनाया गया है, जिसमें गंभीर कुपोषित बच्चे की देखभाल और इलाज की जाती है. बाकायदा उनके डाइट के लिए न्यूट्रीशियन एवं डाईट्रिशियन नियुक्त हैं. साथ ही साथ आया भी काम करती है.