Jabalpur News: मध्य प्रदेश सरकार ने वीरांगना दुर्गावती टाईगर रिजर्व के निर्माण का आदेश जारी कर दिया है. यह टाइगर रिज़र्व दमोह, सागर और नरसिंहपुर जिले की सीमा में 400 किलोमीटर से ज्यादा एरिया में फैला होगा. रानी दुर्गावती टाईगर रिजर्व का बफर क्षेत्र 925 वर्ग किलोमीटर का होगा. बताया जाता है कि केन- बेतवा लिंक परियोजना के कारण पन्ना नेशनल पार्क का काफी हिस्सा प्रभावित हो रहा है. इसीलिए पर्यावरण संरक्षण से जुड़े प्राधिकरण ने नये टाईगर रिजर्व को बनाये जाने की शर्त रखी थी. इस कारण से वीरांगना दुर्गावती टाईगर रिजर्व गठन के आदेश जारी किए गए हैं.

बताया जा रहा है कि 5 अक्टूबर को पीएम नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश में तकरीबन 50 हजार करोड़ रुपये की लागत वाली केन-बेतवा नदी लिंक परियोजना के तहत बनने वाले बांध का शिलान्यास करने आने वाले हैं. वीरांगना दुर्गावती टाईगर रिजर्व जिला सागर, दमोह तथा नरसिंहपुर में आएगा. इसमें नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य एवं दमोह वनमंडल शामिल रहेगा. इसका कोर क्षेत्र क्रमांक एक 390.036 वर्ग किलोमीटर तथा कोर क्षेत्र क्रमांक दो 23.97 वर्ग किलोमीटर होगा. कोर एरिया क्रमांक एक में नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य आएगा, समें विस्थापित ग्रामों का क्षेत्र 2 हजार 130 हेक्टेयर होगा.

एमपी में हैं सबसे ज्यादा 6 टाइगर रिजर्व

यहां बताते चले कि अभी मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 6 (सतपुड़ा, पन्ना, पेंच, कान्हा, बांधवगढ़ और संजय दुबरी) टाइगर रिजर्व हैं. यहां पांच नेशनल पार्क और 10 सेंचुरी भी हैं. देश के हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश में पहली बार बाघों की संख्या 785 पहुंच गई है. मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट भी कहा जाता है. नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण्य अभी पन्ना टाइगर रिजर्व और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के लिए एक गलियारे के रूप में कार्य करता है जबकि अप्रत्यक्ष रूप से रानी दुर्गावती वन्यजीव अभ्यारण्य के माध्यम से बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को जोड़ता है.

रिजर्व में बाघों के खाने की कोई कमी नहीं होगी

नौरादेही अभ्यारण्य के विशाल क्षेत्रफल के करीब दो तिहाई हिस्से में घास के मैदान हैं, जो टाइगर रिजर्व के लिए काफी महत्वपूर्ण है. घास के मैदान टाइगर रिजर्व के लिए इसलिए जरूरी होते हैं क्योंकि टाइगर मैदान में स्वच्छंद रूप से विचरण करते हैं और घास के मैदान होने के कारण शाकाहारी जानवर काफी संख्या में आकर्षित होते हैं. इससे टाइगर के लिए भोजन की समस्या नहीं होती है. पिछले कई सालों में नौरादेही अभ्यारण्य में घास के मैदानों के बेहतर प्रबंधन के प्रयास चल रहे हैं. इस मामले में नौरादेही अभ्यारण्य में प्रबंधन को काफी सफलता भी मिली है. टाइगर रिजर्व की स्थापना के लिए घास के मैदान का प्रबंधन बहुत जरूरी है.