राजस्थान में दो महीने के बाद विधानसभा चुनाव होने हैं और सात महीने के बाद लोकसभा चुनाव होने हैं, लेकिन अशोक गहलोत मिशन-2023 को लेकर सियासी एजेंडा सेट करने में जुट गए हैं. विधानसभा चुनाव की सियासी तपिश के बीच सीएम गहलोत ने मिशन-2023 अभियान के तहत एक यात्रा शुरू की है, जिसके जरिए 18 जिलों की 38 विधानसभा सीटों को साधने की कवायद करेंगे. इस दौरान मंदिरों में दर्शन करने के साथ-साथ लोगों के साथ संवाद करेंगे. गहलोत मिशन-2030 का अभियान शुरू करके क्या सचिन पायलट के सीएम बनने के सपने को इस बार के चुनाव में नहीं बल्कि 2028 में भी रोड़ा बनेंगे?

बीजेपी ने राजस्थान में सियासी माहौल बनाने के लिए चार परिवर्तन यात्रा शुरू की थीं, जिसका समापन पीएम मोदी ने सोमवार को किया है. इस यात्रा में बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने सिर्फ शिरकत ही नहीं की बल्कि वे यात्राओं के दौरान महिला अपराध, भ्रष्टाचार और हिंदुत्व से जुड़े मुद्दे को उठाकर गहलोत सरकार के खिलाफ एजेंडा सेट करने की कवायद करते नजर आए हैं. बीजेपी के द्वारा गढ़े गए नैरेटिव को तोड़ने के लिए अब सीएम अशोक गहलोत खुद सूबे की जमीन पर उतर गए हैं. गहलोत ने मिशन 2023 के तहत यात्रा निकालने का फैसला किया है.

सीएम अशोक गहलोत इस यात्रा के जरिए राजस्थान को मॉडल राज्य बनाने के लिए लोगों से सुझाव मांगेगे, जिन्हें कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल किया जाएगा. गहलोत नौ दिनों में सूबे के 18 जिले में 3160 किलोमीटर का सफर तय करेंगे. इस दौरान जनता के साथ संवाद करेंगे और रास्ते में पड़ने वाले हर जिले में जनसभा को भी संबोधित करेंगे. गहलोत की यात्रा का पहला चरण 27 से 30 सितंबर तक है. इसके बाद दूसरे चरण की यात्रा 3 अक्टूबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक चलेगी.

गहलोत निमाड़ क्षेत्र में सियासी समीकरण को करना चाहते मजबूत

गहलोत यात्रा के दौरान दो चरण में 18 जिले की 38 विधानसभा सीटों को कवर करेंगे. मुख्यमंत्री की यात्रा जयपुर, सीकर, चूरू, नागौर, हनुमानगढ़, श्रीगंगानगर, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर, पाली, सिरोही, जालौर, राजसमंद, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा और चित्तौड़गढ़ जिसे से गुजरेगी. इसमें कांग्रेस के लिए कमजोर माने जाने वाली तमाम सीटें भी शामिल हैं. बीजेपी का पूरा फोकस इसी निमाड़ के क्षेत्र में है. यह आदिवासी और जाट बेल्ट माना जाता है. इस तरह गहलोत अपने सियासी समीकरण को भी मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.