हमास के ताजे हमले ने केवल इजराइल और वहां के नागरिकों को नुकसान नहीं पहुंचाया है. इस हमले का फौरी असर गाजा पट्टी में तबाही के रूप में सामने है. इसके दूरगामी असर भी दिखेंगे. तरक्की की नई-नई इबारत लिखने वाले सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात जैसे अरब देश के साथ जो समझौते इजराइल ने किए, उन पर भी असर पड़ सकता है. असर पूरे अरब लीग के देशों पर पड़ सकता है.

अपने जन्म के साथ ही घोषित-अघोषित युद्ध का लगातार सामना करने वाला इजराइल अगर तरक्की के रास्ते पर सरपट दौड़ रहा है तो समझना आसान हो जाता है कि अगर यह देश युद्ध का सामना न करता तो आज कहां होता?यही बात अरब लीग के देशों सऊदी अरब और यूनाइटेड अरब अमीरात पर भी लागू होती है.

साल 1972 में अस्तित्व में आया संयुक्त अरब अमीरात आज अमनपसंद देश में गिना जाता है. इस छोटे से देश में जाकर शांति प्रिय लोग रहना चाहते हैं. आज भी यहां सौ से ज्यादा देशों के लोग अकेले दुबई में रह रहे हैं. यहां के छोटे-छोटे शहर शारजाह, अजमान आए दिन तरक्की की नई इबारत लिख रहे हैं. दुबई में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के लिए अलग से एक मिनिस्टर हैं. यह देश दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इनवेस्टमेंट कर रहा है. यही स्थिति सऊदी अरब की है. इसका भी अपना शानदार तरक्की का इतिहास है. टेक्नोलॉजी और इंफ्रा में इनवेस्टमेंट करते हुए पूरी दुनिया से विशेषज्ञों को बुलाकर यह देश रोज नई कहानी लिख रहा है.