पिछले दिनों बिहार में बिहार लोक सेवा आयोग के द्वारा 1.7 लाख शिक्षकों की बहाली के लिए प्रतियोगी परीक्षा का आयोजन किया गया जिसमें 1.22 लाख अभ्यर्थियों ने सफलता हासिल. हालांकि इस परीक्षा के नतीजे को लेकर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं. इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने भी इस परीक्षा के नतीजे को लेकर सवाल खड़े किए हैं और इसे एक घोटाला बताया है.

जीतन राम मांझी ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर शिक्षक बहाली परीक्षा को एक घोटाला करार दिया. जीतन राम मांझी ने लिखा कि जिस तरीके से रेलवे में कुछ साल पहले ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाला हुआ उसी तर्ज पर बिहार में अब ‘पैसे के बदले नौकरी’ घोटाला हुआ है.

शिक्षक भर्ती परीक्षा में धांधलीकरण आरोप लगाते हुए जीतन राम मांझी ने ने पूरी परीक्षा को लेकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है. जीतन मांझी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “बीपीएससी शिक्षक नियुक्ति मामले की उच्च स्तरीय जांच की आवश्यकता है. आरक्षण की अनदेखी कर यह नियुक्ति रेलवे के लैंड फॉर जॉब के तर्ज पर ‘मनी फॉर जॉब’ स्कीम के तहत की गई है. ‘पैसा दो सरकारी नौकरी लो’ घोटाले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए. बिहार सरकार ने युवाओं का बेड़ा गर्क कर दिया है.’

क्या है लैंड फॉर जॉब स्कैम?

लैंड फॉर जॉब स्कैम का केस 14 साल पुराना है, उस समय लालू यादव रेल मंत्री थे. दावा है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहते हुए रेलवे में लोगों को नौकरी देने के बदले उनकी जमीन लिखवा ली थी. बताते चलें कि लालू यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री रहे थे. सीबीआई ने इस मामले में 18 मई को केस दर्ज किया था. सीबीआई के मुताबिक, लोगों को पहले रेलवे में ग्रुप डी के पदों पर सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया और जब उनके परिवार ने जमीन का सौदा किया, तब उन्हें रेगुलर कर दिया गया.