दुनिया में अगर टेक्नोलॉजी की रेस में किसी मुस्लिम देश का नाम तलाशें, तो यूनाइटेड अरब अमीरात आपको नंबर एक पर मिलेगा. बीते कुछ सालों में अमीरात ने तकनीकों की दुनिया में बेहतरीन प्रोग्रेस किया है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर तो यहां एक मंत्रालय ही चलता है. म्यूजियम ऑफ द फ्यूचर जैसे कल्चरल सेंटर अमीरात में ही हैं, जहां तमाम नई तकनीकों को एक्सपीरियंस किया जा सकता है. अब तकनीकों का इस्तेमाल गलत तरीके से ना किया जाए, इसके लिए धर्म के मुताबिक कुछ नीतियां बनाई जा रही है.

यूएई के फतवा काउंसिल ने अपने दूसरे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान साइंटिफिक डेवलपमेंट्स के लिए एक चार्टर लॉन्च किया है. चार्टर में नए टेक डेवलपमेंट, इन्वेंशन, डिजिटल डेवलपमेंट से लेकर स्वास्थ्य, अर्थशास्त्र, अंतरिक्ष, ऊर्जा, जलवायु और कृषि जैसे क्षेत्रों में चुनौतियों से निपटने के तौर तरीके निर्धारित किए गए हैं. एक मुस्लिम देश होने के नाते यूनाइटेड अरब अमीरात में शरिया कानून चलता है और तेजी से बदलते टेक्नोलॉजी के इस दौर में मुस्लिम समुदाय कैसे इसका इस्तेमाल करें, इसके लिए नियम बनाने की जरूरत आ पड़ी है.

फतवा को लेकर होते हैं विवाद

आमतौर पर नए तकनीकों के इस्तेमाल को लेकर मुस्लिम समुदाय में कन्यफ्यूजन की स्थिति रहती है. दुनियाभर में ऐसे कई मामले देखे गए हैं, जहां धर्मगुरुओं ने कथित रूप से अपने मनमुताबिक फतवा जारी कर दिया. एक बहुत ही चर्चित मामला टीवी देखने से संबंधित है, जिसपर एक भारतीय इस्लामिक मदरसे ने फतवा जारी कर मुस्लिम समुदाय को टीवी देखने से मना किया था. इसपर काफी विवाद भी हुआ. कुछ इसी तरह के हालात यूनाइटेड अरब अमीरत में भी देखे जा रहे थे. इसे रेगुलराइज करने के लिए एक फतवा काउंसिल का गठन किया गया, और पूरे देश में इसी काउंसिल द्वारा शरिया संबंधित नीतियां लागू होती हैं.

विज्ञान में फतवा शामिल करने की क्या जरूरत?

यूनाइटेड अरब अमीरात में हुए दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस में दुनियाभर से 50 देशों के प्रतिनिधि और 71 फतवा डिपार्टमेंट्स के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम में दुनियाभर के देशों ने तकनीक और तकनीकी विकास पर अपनी राय रखी. यूनाइटेड अरब अमीरात खाड़ी में सबसे तेजी से तकनीकी विकास में आगे बढ़ने वाला देश है. पिछले साल यूएई के एक अंतरिक्ष यात्री सुल्तान अल नेयादी अंतरिक्ष की सैर करके आए हैं. मिशन की वजह से वह स्पेस स्टेशन में ना तो रोजा ही रख पाए और ना ही ईद ही मना पाए.