फिर छठ का त्योहार है. दिल्ली-मुंबई-सूरत जैसे शहरों में बिहार और यूपी जाने वालों का बैग पैक है… लेकिन नजरें मोबाइल के स्क्रीन पर लगातार जा रही हैं. टिकट का जुगाड़ मुश्किल है, ट्रेनें फुल हैं, वेटिंग के कन्फर्म होने का कोई चांस नहीं है. स्पेशल ट्रेनें हैं तो उनमें जगह मिल जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है. स्टेशन पहुंच गए तो प्लेटफॉर्म पर पैर रखने की जगह नहीं है. ट्रेन आ गई तो टिकट जेब में रखकर भी अपनी बोगी में घुस पाएंगे- इसकी कोई गारंटी नहीं है.

हर स्टेशन पर एक जैसा हाल है. हर ट्रेन में घुसने की एक जैसी जंग है और अगर घुस भी गए तो ट्रेन में रिजर्वेशन के बावजूद कोई रिजर्व सीट नहीं है. जितनी सीटें हैं उसके 10 गुना पैसेंजर अंदर हैं. एक सीट पर जितने सट-सटकर बैठ सकते हैं उतने तो घुसेंगे ही, नीचे चलने की जगह पर, बोगी के गेट पर, खिड़की पर और टॉयलेट में भी हाउसफुल है.

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छठ के त्योहार पर ये मारामारी हर साल दिखती है और तमाम नई ट्रेनों के ऐलान के बादजूद इस बार भी फिर यही जंग जारी है. चाहे शहर कोई भी हो… हाल एक जैसा है. आलम ये है कि लोग अपनी जान जोखिम में डालकर ट्रेनों के दरवाजे पर लटक कर यात्रा कर रहे हैं.

यह तस्वीरें दिल्ली हावड़ा रेल रूट के सर्वाधिक व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में शुमार पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन की है. इस स्टेशन से होकर बिहार बंगाल और झारखंड की तरफ जाने वाली ट्रेनों में जबरदस्त भीड़ दिखाई दे रही है. चाहे नई दिल्ली से चलकर इस्लामपुर जाने वाली मगध एक्सप्रेस हो, दिल्ली से चलकर पुरी को जाने वाली पुरुषोत्तम एक्सप्रेस हो या फिर पूजा स्पेशल ट्रेन, सभी ट्रेनों में जबरदस्त भीड़ है.