म्यांमार में जुंटा आर्मी और मिलिशिया पीडीएफ के बीच चल रहे तनाव ने बड़ा रूप अख्तियार कर लिया है. इस दौरान सेना की तरफ से हवाई हमले भी शुरू हो गए हैं, जिसकी वजह से लोगों की जान खतरे में आ गई है. म्यामार के लोग जान बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं. इस बीच नागरिक भारत का रुख कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, करीब 5000 म्यांमार नागरिक भागकर मिजोरम के चम्फाई जिले के जोखावथर क्षेत्र में शरण लिए हुए हैं, जिसकी सीमा म्यांमार से लगती है.

हवाई हमलों के दौरान ये लोग भारत-म्यांमार सीमा से लगे सीमावर्ती इलाकों से घुसकर चम्फाई जिले में प्रवेश कर गए थे. इस दौरान जिला प्रशासन, गैर सरकारी संगठनों, यंग मिजो एसोसिएशन और ग्राम परिषद म्यांमार के नागरिकों की हर तरह से मदद कर रहा है. इनके लिए खाने पीने से लेकर कपड़ों और दवाओं की व्यवस्था की गई है, साथ ही रहने के लिए टैंट भी लगाए गए हैं. यंग मिजो एसोसिएशन (वाईएमए), जोखावथर के नेताओं के मुताबिक, म्यांमार के नागरिकों के लिए करीब 4 से 5 राहत और शरणार्थी शिविर बनाए गए हैं

भारत में रखा जा रहा म्यांमार के लोगों का ख्याल

यंग मिजो एसोसिएशन (वाईएमए) के वित्तीय सचिव एफ बियाक्टिनसांगा के मुताबिक, म्यांमार से भारत में लोगों की एक बड़ी संख्या अनुमानित रूप से 5,000 से 6,000 के बीच है. इन लोगों को कई गैर सरकारी संगठनों और जिला प्रशासन द्वारा समर्थन दिया जा रहा है. म्यांमार के नागरिक यहां शांतिपूर्ण तरीके से रह रहे हैं. उनकी हर तरह से मदद की जा रही है. उन्होंने बताया कि नागरिकों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं जिनका पूरा ख्याल रखा जा रहा है. बच्चों के लिए दाल, सेरेलैक, दूध समेत डायपर जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं. इसके साथ ही ठंड से बचने के लिए कंबल और गद्दों का भी इंतजाम किया गया है.

म्यांमार के लोगों ने की स्थानीय लोगों की तारीफ

म्यांमार के नागरिक ने बताया कि वो करीब दो साल पहले अपने गांव से घर छोड़कर जोखावथर आए थे. इस दौरान वो अपने साथ कुछ भी नहीं लाए थे. उन्होंने बताया कि स्थानीय लोगों ने उनकी हर तरह से मदद की. उनके रहने खाने पीने का इंतजाम किया. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वापस जाना अब इनके लिए बहुत मुश्किल है. हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि वो यहां कब तक हैं ये भी नहीं पता.