जम्मू-कश्मीर में युवा वर्ग आतंकी संगठनों में शामिल हो रहा है. यह चिंता का विषय है. इसे रोकने के लिए पुलिस कदम उठा रही है. युवाओं को आतंकी संगठनों में भर्ती होने से रोकने के लिए हाल ही में डीजीपी आर आर स्वैन द्वारा कई संवेदनशील जिलों में बैठकें आयोजित की हैं. इन बैठकों में ग्राउंड लेवल पर युवाओं और पुलिस की बढ़ती दूरी को मिटाकर उन्हें एक साथ जोड़ने की बात कही गई.

डीजीपी का कहना है कि पुलिस युवाओं को आतंकी संगठनों में भर्ती होने से रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. साथ ही साथ अगर किसी के बहकावे में आकर कोई युवा गुमराह हो जाए तो उसे फिर से अपने परिवार से जुड़ने का नया मौका दिया जाएगा. हालांकि बीते साल के मुकाबले इस साल सिथानिया में युवाओं की आतंकी संगठनों में भर्ती कम हुई गई है.

पहले पुलिस की भर्ती जम्मू-कश्मीर पुलिस की ओर से की जाती थी. गृह विभाग इसकी जिम्मेदारी सर्विस सेलेक्शन बोर्ड को सौंप देता था. हालांकि अब केंद्रशासित प्रदेश की ओर से भर्ती की जाती है. एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी ने एसआई परीक्षा का आयोजन कराया था, मगर इसके बाद हुए विरोध प्रदर्शन और बढ़ते विवादों के चलते जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल ने एसआई पोस्ट के एग्जाम को कैंसिल कर दिया था.

पेपर-लीक होने के कारण रिजल्ट हुआ रद्द

युवाओं के रोजगार को मद्देनजर रखकर देखा जाए तो जम्मू-कश्मीर में 2017 से पुलिस की भर्ती नहीं हुई है. डाटा के अनुसार, हाल ही में हुई भर्ती के लिए 2022 में परीक्षा का आयोजन किया गया था, लेकिन पेपर-लीक होने के कारण एग्जाम का रिजल्ट डिक्लेयर करने में एक साल लगा दिया. लंबे इंतजार और शिकायत के बाद पुलिस ने एसआई एग्जाम के रिजल्ट जारी किए.

जम्मू-कश्मीर पुलिस के खाली हैं 400 पद

वहीं, जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी दिलबाग सिंह का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में पुलिस के पोस्ट के लिए 400 रिक्तियां हैं. इन्हें भरने की जरूरत है क्योंकि इन खाली पोस्ट का खामियाजा पुलिस डिपार्टमेंट को भुगतना पड़ रहा है. दिलबाग सिंह ने यह भी कहा कि पुलिस डिपार्टमेंट में भर्तियों को खुद पुलिस डिपार्टमेंट ही करती थी. हालांकि वर्तमान में सरकार ने इसकी जिम्मेदारी कुछ एजेंसियों को सौंप दी है.

आतंकी संगठनों के चंगुल से दूर रखने के उपाय

जम्मू-कश्मीर के पुलिस डिपार्टमेंट ने इस संवेदनशील मुद्दे को मद्देनजर रखते हुए कदम उठाया है. राज्य के युवाओं को आतंकी संगठनों के चंगुल से दूर रखने के लिए और उनके अच्छे भविष्य के लिए उपाय निकाला है. इससे रोजगार की तलाश में भटक रहे युवाओं को रोजगार तो मिलेगा ही, साथ ही साथ जम्मू-कश्मीर के पुलिस फोर्स की कमी से राहत मिलेगी.