Delhi News: सोमवार सुबह भक्तों ने सोमवार सुबह ‘अर्घ्य’ अर्पित किया और अपना 36 घंटे का उपवास तोड़ा, जिसके साथ चार दिवसीय छठ पूजा उत्सव का समापन हुआ. एएनआई के मुताबिक दिल्ली के कालिंदी कुंज में प्रदूषित यमुना नदी की सतह पर जहरीला झाग तैरता दिखा, जब भक्तों ने उगते सूर्य को ‘अर्घ्य’ दिया. जहरीला झाग यमुना नदी में उच्च फॉस्फेट सामग्री के कारण होता है, जो स्किन और श्वसन समस्याओं का कारण बन सकता है.
इन तस्वीरों को देखने के बाद एक बार फिर सवाल तो उठा कि कि जब यमुना किनारे छठ मनाने की मनाही है तो फिर इस त्योहार को मनाने के लिए कहीं और जरूरी इतंजाम क्यों नहीं किए गए. आखिर रोक के बावजूद लोगों ने कैसे यमुना के किनारे पर त्योहार मनाया.प्रशासन ने रोक को अमल में लाने के लिए क्या किया?
हाई कोर्ट तक पहुंचा मामला
बता दें पिछले दिनों दिल्ली हाई कोर्ट ने यमुना नदी के तट पर छठ पूजा की अनुमति देने के अनुरोध वाली याचिका पर विचार करने से बुधवार को इनकार कर दिया था. पीटीआई-भाषा के मुताबिक जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा था कि प्रतिबंध यमुना में प्रदूषण को रोकने के लिए है. चूंकि अदालत याचिका खारिज करने के पक्ष में थी, याचिकाकर्ता ने इसे वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे स्वीकार कर लिया गया.
छठ पूजा संघर्ष समिति और पूर्वांचल जागृति मंच ने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के 29 अक्टूबर, 2021 के आदेश को रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया, जिसके द्वारा प्राधिकारियों ने यहां यमुना के तट पर छठ पूजा करने पर प्रतिबंध लगा दिया था.