उत्तराखंड के उत्तरकाशी के टनल में 17 दिन से फंसे मजदूर अब बाहर की दुनिया का दीदार कर सकेंगे. मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है. ये सभी मजदूर 12 नवंबर को सुरंग में फंसे थे. तब से लेकर अब तक इनकी जिंदगी को बचाने के लिए संघर्ष जारी था, जो आज खत्म हो गया है. मजदूरों को निकाल लिया गया है और प्राथमिक उपचार दिया जा रहा है. मजदूर बाहर तो आ गए हैं, लेकिन आगे का जीवन उनके लिए बहुत आसान नहीं होने वाला है. मजदूरों को कई तरह की बीमारियां होने का खतरा है. 17 दिन तक टनल में रहने के बाद फंगस की वजह से स्किन डिजीज का रिस्क है.
डॉक्टरों के मुताबिक, टनल में कई तरह के फंगस और बैक्टीरिया होंगे जिससे श्रमिकों को स्किन की बीमारियां हो सकती है. इससे दाद और खुजली होने की ज्यादा आशंका है. इसके अलावा एग्जिमा भी हो सकता है.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल में डर्मेटोलॉजी डिपार्टमेंट के पूर्व डॉ. भावुक धीर बताते हैं कि टनल में कम रोशनी होती है और हवा के बाहर जाने की कम जगह होती है. इस वजह से वहां कई तरह के फंगस पनपते हैं. इससे फंगल इंफेक्शन हो जाता है. इस इंफेक्शन की वजह से सबसे आम समस्या दाद और खुजली की होती है. ऐसे में हो सकता है कि टनल में फंसे रहे मजदूरों को दाद खुजली की समस्या हो. वैसे ये एक कॉमन बीमारी है, लेकिन कई मामलों में ये लंबे समय तक परेशान कर सकती है.
सोरायसिस की समस्या
डॉ धीर बताते हैं कि सोरायसिस भी एक स्किन की बीमारी है. इसमें स्किन पर खुजली और पपड़ी जम जाती है. किसी प्रकार का संक्रमण, मानसिक तनाव और अधिक ठंड की वजह से ये बीमारी हो जाती है. ये एक ऐसी समस्या है जो स्किन के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति में भी फैलने का खतरा रहता है. लाइट थेरेपी और दवाओं की मदद से इस बीमारी का इलाज किया जाता है.