चंडीगढ़ में शुक्रवार को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने म्यूनिसिपल भवन में युवाओं को नियुक्ति पत्र देने के दौरान अकाली दल पर भी जोरदार हमला बोला है. उन्होंने अकाली नेता बिक्रम सिंह मजीठिया का नाम लेकर उन पर और उनके पूर्वजों पर कई तरह के आरोप लगाये हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब में मजीठिया परिवार के माथे पर जो कलंक लगा है, उसे कोई थो नहीं सकता. उन्होंने यह कहकर हमला किया कि बिक्रम मजीठिया के पूर्वजों की लालसा के चलते सिखों के माथे पर घोड़ा चोर का कलंक लगा था, इस कारण वे माफी के भी लायक नहीं हैं.

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अकाली दल पर निशाना साधते हुए कहा कि पंजाब में यह पार्टी अब बदहाल हो चुकी है. भगवंत मान ने कहा कि हालत यह बन गई है कि सुखबीर सिंह बादल, बिक्रम सिंह मजीठिया और हरसिमरत बादल के सुर भी आपस में नहीं मिलते. उन्होंने बिक्रम मजीठिया से सवाल किया कि अरेबियन घोड़े कहां गए? मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर 5 दिसंबर तक उन्होंने जवाब नहीं दिया तो वे खुद मीडिया के सामने आकर बता देंगे.

भगवंत मान ने सुनाया 1957 का किस्सा

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि 1957 में जवाहर लाल नेहरू के प्रधानमंत्री बनने के बाद एक प्रतिनिधिमंडल अरब मुल्क के दौरे पर गया था. इसमें बिक्रम सिंह मजीठिया के पूर्वजों में से तत्कालीन उपरक्षा मंत्री सुरजीत सिंह मजीठिया भी थे. उन्होंने कहा कि अरब मुल्क के एक राजा ने भारतीय फौज को निशानी के तौर पर अरबी नस्ल के शानदार घोड़े तोहफे में दिए थे. ये घोड़े प्रशिक्षण के लिए मेरठ भेजे जाने थे, जहां फौज में शामिल जानवरों को प्रशिक्षण दिया जाता है. दो महीने बाद अरबी राजा ने उन घोड़ों की हालत के बारे जानना चाहा तो पता चला कि वे घोड़े मेरठ पहुंचे ही नहीं. इसके बाद राजा ने नेहरू जी से नाराजगी जाहिर की.