तेलंगाना में गुरुवार को विधानसभा चुनाव के लिए मतदान पूरा हो गया. लेकिन जब तेलंगाना मददान की तैयारी कर रहा था, मतदान से कुछ घंटे पहले आंध्र प्रदेश सरकार ने कृष्णा नदी पर बने नागार्जुन सागर बांध के आधे हिस्से को अपने नियंत्रण में ले लिया. बांध के उस हिस्से को नियंत्रण में लेते ही आंध्र प्रदेश ने उसके किनारे पानी भी छोड़ दिया. दोनों राज्यों के बीच बांध को लेकर 2014 से विवाद चल रहा है. ध्यान रहे, 2014 वही साल है जब तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग कर दिया गया था.
अब तेलंगाना की के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली बीआरएस सरकार ने आंध्र प्रदेश के वाईएसआरसीपी शासन के खिलाफ शिकायत की है. नागार्जुन सागर बांध के हिस्से पर कब्जा करने और बैरिकेड लगाने के खिलाफ ये शिकायत कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड (केआरएमबी) से की गई है. केआरएमबी दोनों राज्यों को पानी आवंटित करता है. इस घटनाक्रम से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच सियासत तेज हो गई है. हालांकि, तेलंगाना में अभी चुनाव प्रक्रिया के कारण स्थिति नियंत्रण में है.
तीन साल पहले भी हुआ था ऐसा
आंध्र प्रदेश पुलिस के लगभग 400 पुलिसकर्मी राज्य के सिंचाई अधिकारियों के साथ गुरुवार सुबह बांध में घुस गए. आंध्र प्रदेश ने बांध का जो आधा हिस्सा है, उस 13 नंबर फाटक से 26 नंबर फाटक तक नियंत्रण कर लिया. जब तेलंगाना के अधिकारी और नलगोंडा से कुछ पुलिसकर्मी बांध पर पहुंचे, तो आंध्र प्रदेश के अधिकारियों के साथ बहस भी हुई. लेकिन जब आंध्र प्रदेश के अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि वे अपनी सरकार के निर्देशों का पालन कर रहे हैं, तो तेलंगाना के अधिकारी लौट आए. तेलंगाना के अधिकारियों ने कहा कि इसी तरह का प्रयास आंध्र प्रदेश ने तीन साल पहले भी किया था, लेकिन तब उस कोशिश को नाकाम कर दिया गया था.
रेवंत रेड्डी ने KCR पर साधा निशाना
तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच नागार्जुन सागर बांध पर तनावपूर्ण स्थिति को राज्य सरकार की साजिश करार दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव के समय के. चंद्रशेखर राव की ये हताशा को दिखाता है लेकिन वे अपने मकसद में कामयाब नहीं होंगे. उन्होंने तेलंगाना के लोगों से इस तरह के बहकावे में न आने की अपील की और वादा किया कि सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सभी अंतरराज्यीय विवादों को बातचीत से सुलझाने की कोशिश करेगी.