सत्तर के दशक की शुरुआत से अमेरिका-चीन संबंधों के वास्तुकार माने जाने वाले हेनरी किसिंजर का 100 साल की उम्र में बुधवार को कनेक्टिकट में उनके घर पर निधन हो गया. चीन ने पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर के निधन पर गुरुवार को शोक व्यक्त करते हुए उन्हें बीजिंग और वाशिंगटन के बीच संबंधों का अग्रणी निर्माता बताया. बीजिंग ने किसिंजर को चीनी लोगों का ‘डियर ओल्ड फ्रेंड’ बताया. हेनरी किसिंजर के पिंग-पोंग डिप्लोमेसी का एक प्रमुख लाभार्थी चीन था.
उन्होंने ही अपनी कूटनीति से 1971 में अमेरिका और चीन के रिश्तों पर जमें बर्फ को पिघलाने में अहम भूमिका निभाई थी. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अपने अमेरिकी समकक्ष जो बाइडन को किसिंजर की मृत्यु पर शोक संदेश भेजा. हेनरी किसिंजर ने अपने जीवनकाल में 100 से अधिक बार चीन का दौरा किया. बीजिंग उनका स्वागत रेड कार्पेट बिछाकर करता था. उनकी सबसे हालिया बीजिंग यात्रा इस साल जुलाई के अंत में हुई थी, ताकि सिएटल में शी जिनपिंग और जो बाइडन के बीच शिखर सम्मेलन का मार्ग प्रशस्त किया जा सके.
किसिंजर, जो इस साल मई में 100 साल के हो गए, 1971 में अपनी सफल पिंग-पोंग कूटनीति के बाद से बीजिंग में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति बने रहे. उन्होंने कम्युनिस्ट चीन को उसके वैचारिक गुरु तत्कालीन सोवियत संघ के खिलाफ खड़ा कर दिया, जिससे उस समय शीत युद्ध के दौरान शक्ति का संतुलन बिगड़ गया. माओत्से तुंग से लेकर शी जिनपिंग तक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सफल नेताओं ने अमेरिका के साथ चीन के संबंधों पर मार्गदर्शन के लिए हेनरी किसिंजर की ओर रुख किया, जिससे बीजिंग को दुनिया में अपने आर्थिक और राजनयिक प्रभाव का विस्तार करने में मदद मिली.
अमेरिका-चीन के रिश्तों में बाई खटास तो एक्टिव हुए किसिंजर
पिछले 10 वर्षों में अमेरिकी नेताओं ने चीन को एक बड़े खतरे के रूप में पहचानना शुरू किया. क्योंकि वह अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और प्रमुख सैन्य शक्ति के रूप में उभरा है. इस दौरान दोनों देशों के संबंधों में ताइवान को लेकर तल्खी भी देखने को मिली.