राजस्थान विधानसभा में बीजेपी की जीत के बाद यह अटकलें तेज हो गई हैं कि राज्य का अगला सीएम कौन होगा? सीएम पद की दौड़ में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में निर्वाचित बीजेपी के चार सांसद बाबा बालकनाथ, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दीया कुमारी एवं किरोड़ीलाल मीणा के नामों की चर्चा जोरों पर हैं. इन नामों को लेकर सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाए जा रहे हैं. बीजेपी के तीन नवनिर्वाचित विधायक किरोड़ीलाल मीणा, राजवर्धन सिंह राठौर और दीया कुमारी ने गुरुवार को सांसद पद से इस्तीफा दे दिया है, जबकि बाबा बालकनाथ ने अभी तक इस्तीफा नहीं दिया है.
विधायक बनने के बाद तीन सासदों दीया कुमारी, किरोड़ीलाल मीणा और राज्यवर्धन राठौड़ के सांसद पद से इस्तीफा देने के बाद इन्हें राज्य में अहम जिम्मेदारी देने की अटकलें तेज हो गई हैं. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि सब कुछ नया होगा. बीजेपी नेता के बयान के बाद लगभग साफ हो गया है कि बीजेपी नये चेहरे को राज्य का कमान सौंपेगी.
बता दें कि बीजेपी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में सात सांसदों को उतारा था. जिन सांसदों ने चुनाव लड़ा था, उनमें बाबा बालकनाथ, किरोड़ी लाल मीणा, दीया कुमारी, भागीरथ चौधरी, राज्यवर्धन राठौड़, नरेंद्र खीचड़, देवजी पटेल थे. इनमें चार सांसद चुनाव जीते और तीन को पराजय का मुंह देखना पड़ा था. देवजी एम पटेल सांचौर, भागीरथ चौधरी किशनगढ़ृ और नरेंद्र खींचड़ से विधानसभा चुनाव हार गए है. ऐसे में ये सांसद बने रहेंगे.
क्या सीएम पद की रेस में पिछड़ गए हैं बाबा बालकनाथ?
लेकिन जीते चार सांसदों में से तीन सांसदों ने इस्तीफा दे दिया है, जबकि बीजेपी सांसद बाबा बालकनाथ तिजारा विधानसभा सीट से जीत हासिल की है, लेकिन अभी तक उनके इस्तीफे को लेकर कोई खबर नहीं आई है. ऐसे में उन्हें दो में से एक ही पद रखना होगा. यदि वह सांसद पद से इस्तीफा नहीं देते हैं, तो उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देना होगा, क्योंकि संवैधानिक नियम के अनुसार कोई एक साथ सांसद और विधायक नहीं रह सकता है.
दूसरी ओर, यदि वह विधायक पद से इस्तीफा दे देते हैं, तो इससे साफ है कि वह सीएम नहीं बन रहे हैं, क्योंकि सीएम बनने के लिए विधायक रहना जरूरी है या फिर सीएम पद की शपथ लेने के छह माह के अंदर विधायक पद के लिए निर्वाचित होना बाध्यातामूलक है. ऐसे में चूंकि वह पहले से ही विधायक पद से निर्वाचित हो चुके हैं और वह सांसद पद से इस्तीफा नहीं देते हैं, तो फिर संशय होना स्वाभाविक है.
बता दें कि अलवर की तिजारा सीट से जीत हासिल किए बाबा बालकनाथ की सीएम पद की दावेदारी को लेकर खूब चर्चा हो रही है. लोग नाथ संप्रदाय के आठवे मुख्य महंत रहे बाबा बालकनाथ में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि देख रहे हैं. बाबा बालकनाथ हिंदुत्व के मुद्दे पर लगातार बयान देते रहते हैं. उन्हें पार्टी ने दिल्ली भी तलब किया था. उसके बाद अटकलें तेज हो गई थी, लेकिन जिस तरह से तीन सांसदों ने इस्तीफा दिया और वह सांसद पद से इस्तीफा नहीं दिये हैं. इससे उनके सीएम पद की दावेदारी पर सवाल लग गए हैं.