पांच राज्यों के नतीजे आने के बाद बीजेपी ने 2024 के आम चुनाव की रणनीति पर अभी से काम करना शुरू कर दिया है. पार्टी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव जीतने वाले 12 सांसदों को उनके गृह राज्यों में जिम्मेदारी देने का फैसला लिया है. इन सांसदों में तीन केंद्रीय मंत्रियों प्रह्लाद सिंह पटेल, नरेंद्र सिंह तोमर और रेणुका सिंह के नाम शामिल हैं. बीजेपी के इस फैसले को बड़ी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. हालांकि, बड़ा सवाल यही है कि क्या विधायक बने 12 सांसदों की सेंट्रल पॉलिटिक्स खत्म हो गई है?

दरअसल, बीजेपी इस बार विधानसभा चुनाव में एक नई रणनीति के साथ मैदान में उतरी. पार्टी ने सबसे पहले उन सीटों पर फोकस किया, जहां उसे पिछले चुनाव में हार मिल रही थी. इन सीटों पर 100 दिन पहले उम्मीदवार उतारे. उसके बाद कमजोर सीटें चिह्नित की गईं. यहां आसपास की सीटों पर भी फोकस किया और चार राज्यों में 21 सांसदों को उम्मीदवार बनाकर उतारा. बीजेपी के इस फैसले से हर कोई चकित रहा. किसी ने इसे हार का डर बताया तो किसी ने सांसदों के कामकाज पर ही सवाल उठाने शुरू कर दिए. हालांकि, जब नतीजे आए तो काफी हद तक बीजेपी की ये रणनीति काम करती दिखी. बीजेपी के 21 में से 12 सांसद विधानसभा चुनाव जीतकर आए.

‘कमजोर सीटों पर खेला गया दांव’

इतना ही नहीं, सांसद जिन सीटों पर चुनाव लड़ रहे थे, वहां आसपास की सीटों पर भी बीजेपी को बढ़त मिली तो कुछ पर जीत हासिल करने में भी मदद मिली. ऐसा भी नहीं है कि संगठन ने सांसदों को उनके संसदीय इलाके से अलग या दूर वाली सीटों पर खड़ा था. पार्टी ने इन नेताओं की उनकी संसदीय क्षेत्र में आने वाली कमजोर सीटों पर भेजा. यहां दांव काम भी कर गया है. बीजेपी के इस फैसले को अब एक नई लकीर के तौर पर देखा जा रहा है.

‘अब दो कदम आगे बढ़ी बीजेपी’

नतीजे पक्ष में आने के बाद अब BJP ने दो कदम और आगे बढ़ा दिए हैं. विधानसभा चुनाव में जो 12 सांसद जीतकर आए हैं, उन्होंने संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है. यानी ये नेता अब विधानसभा के सदस्य बने रहेंगे. इन केंद्रीय नेताओं से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद मुलाकात की. उनसे चुनाव के अनुभव जाने और अगले ही दिन इन सभी को उनके निर्वाचन क्षेत्र में भेज दिया. कहा जा रहा है कि पार्टी ने ये निर्णय 2024 के चुनाव को ध्यान में रखकर लिया है.

‘आधे नेताओं को बाद में किया जा सकता है एडजस्ट’

बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता विभाग में प्रोफेसर डॉ. कौशल त्रिपाठी कहते हैं कि ये कुछ समय के लिए संदेश देने के लिए भी एक कदम हो सकता है. तीन राज्यों में 12 सांसद चुनाव जीते हैं. संभावना है कि इनमें से तीन-चार नेताओं को राज्य सरकारों में सीएम या डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है. अन्य नेता कैबिनेट का हिस्सा हो सकते हैं. इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि कुछ नेताओं को 2024 के चुनाव में टिकट ना दिए जाने की संभावनाएं ना बनें. यह पार्टी के लिए उसी समय निर्भर करेगा कि संगठन के हित में क्या ठीक रहेगा.