कांग्रेस को तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है. इसके साथ ही यूपी में भी उसके पास कुछ नहीं है, लेकिन उसको भी पता है कि अगर दिल्ली की सत्ता पर काबिज होना है तो हिंदी बेल्ट में अपनी ताकत बढ़ानी पड़ेगी. इसी को देखते हुए कांग्रेस 20 दिसंबर से उत्तर प्रदेश में ‘यूपी जोड़ो यात्रा’ निकाल रही है, जो पश्चिमी यूपी के 9 जिलों से होकर गुजरेगी.
यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने करीब दो दिन पहले इसकी घोषणा करते हुए बताया कि यात्रा को लेकर पूर्व कांग्रेस सांसदों और विधायकों के साथ बैठक करके रोडमैप तैयार कर लिया गया है. इस यात्रा की अगुवाई एक बार फिर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी करेंगी और उनका साथ देने के लिए राहुल गांधी भी इससे जुड़ेंगे. हालांकि कांग्रेस की इस यात्रा को बीजेपी से ज्यादा अखिलेश यादव और जयंत चौधरी पर दबाव के रूप में देखा जा रहा है.
विधानसभा में हार के बाद कांग्रेस ने आनन-फानन में 6 दिसंबर का इंडिया गठबंधन की बैठक बुलाई थी, लेकिन कई सहयोगियों ने पर्याप्त समय न दिए जाने की बात कहकर इसमें शामिल नहीं होने की बात कही. जिसके बाद इसको फिर से 19 दिसंबर को तय किया गया, लेकिन कांग्रेस ने यूपी में 20 दिसंबर से अपनी ‘यूपी जोड़ो यात्रा’ की शुरुआत का ऐलान कर दिया, जोकि प्रदेश में 25 दिन तक चलेगी और लोगों से संवाद भी किया जाएगा.
आरएलडी-सपा ने तैयारी शुरू की
विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग नहीं होने से नाराज अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी की आरएलडी के साथ मिलकर प्रदेश में चुनाव लड़ने का मन बना लिया था और हाल ही में सपा की कार्यकारिणी की बैठक में अखिलेश यादव ने पार्टी के नेताओं को बताया था कि वह 65 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और 15 सीट आरएलडी व कांग्रेस के लिए छोड़ेंगे. वैसे आरएलडी को 2014 में 8 और 2019 में 3 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद सभी में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन जयंत इस बार अखिलेश से 12 सीट मांग कर रहे हैं.
पश्चिमी यूपी को आरएलडी का गढ़ माना जाता है क्योंकि यहां पर जाट और मुस्लिम वोटरों के साथ आने का उसको फायदा मिलता है इसलिए जयंत की नजर कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, नगीना, अमरोहा, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, हाथरस, फतेहपुर सीकरी, मथुरा और बागपत की सीट पर है.