संसद की सुरक्षा में चूक और उपराष्ट्रपति की मिमिक्री के बाद संसद में हंगामे के बाद विपक्षी सांसदों के निलंबन का सिलसिला जारी है. गुरुवार को तीन और कांग्रेस के सांसद डीके सुरेश, दीपक बैज और नकुल नाथ संसद के शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए लोकसभा से निलंबित कर दिया गया है. इस तरह से निलंबित सांसदों की संख्या बढ़कर 146 हो गई है. इनमें 100 लोकसभा के सांसद हैं, जबकि 46 राज्यसभा के सांसद हैं.

संसद में सांसदों के निलंबन का सिलसिला 4 दिसंबर को शुरू हुए शीतकालीन सत्र के दौरान हुआ है. संसद की सुरक्षा में चूक के बाद 14 दिसंबर को 14, सोमवार को 78, मंगलवार को 49, बुधवार को दो और गुरुवार को तीन सांसदों को निलंबित कर दिया गया.

सांसदों के निलंबन के खिलाफ विपक्षी पार्टी के सांसद विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. संसद के परिसर में विपक्षी पार्टियों की ओर से प्रदर्शन किया जा रहा है, जबकि उपराष्ट्रपति की मिमिक्री करने के खिलाफ राजग के सांसद भी प्रदर्शन किया है.

इस बीच, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया कि विपक्षी सांसदों को निलंबित करके महत्वपूर्ण कानूनों को पारित करना लोकतंत्र नहीं बल्कि ‘अधिनायकवाद’ है. उन्होंने एक्स पर लिखा, “पीएम मोदी और उनकी सरकार ये नहीं चाहते कि सदन चले. लोकतंत्र में सवाल करना हमारा अधिकार है. हम सवाल उठा रहे हैं कि संसद की सुरक्षा में जो चूक हुई, उस पर प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बयान दें. ”

उन्होने कहा, “अगर आप सदन में नहीं बोलेंगे तो कहां बोलेंगे ? प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बाकी जगहों पर जाकर बात कर रहे हैं लेकिन वे सदन में बयान नहीं दते हैं. ऐसा करने से उन्होंने सदन का अपमान किया है.”

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की नेता सुप्रिया सुले ने गुरुवार को भाजपा के नेतृत्व वाले केंद्र पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि संसद के दोनों सदनों से विपक्षी सांसदों का थोक में निलंबन ‘लोकतंत्र की हत्या’ का प्रतिनिधित्व करता है.