अखिलेश यादव का कहना है कि अगर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण मिला तो वो अयोध्या जरूर जाएंगे. वैसे समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव एक बार पहले भी कह चुके हैं कि राम मंदिर के बन जाने पर वो पूरे परिवार के साथ अयोध्या दर्शन के लिए जाएंगे, और अयोध्या को लेकर ये समाजवादी पार्टी के बदले रुख का पहला उदाहरण था. खासतौर पर तब जबकि मुलायम सिंह कारसेवकों पर गोली चलवाने की कार्रवाई को जिम्‍मेदारी के साथ स्‍वीकार करते रहे हैं.

22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से जुड़ा महत्वपूर्ण आयोजन हो रहा है. राम लला के प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्ति आयोजन के गवाह बनेंगे.

मंदिर निर्माण से जुड़ी आयोजन समिति ने पूर्व प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के प्रमुखों को निमंत्रण भेजा है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ ही सोनिया गांधी को भी समारोह का निमंत्रण मिला है. हालांकि, अखिलेश यादव की तरह, कांग्रेस की तरफ से नेताओं के शामिल होने के मामले में सस्पेंस बना कर रखा गया है. देखा जाये तो उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी अगर अपनी जातीय राजनीति से आगे बढ़ती है तो वो अयोध्या के इर्द-गिर्द ही घूमती दिखाई पड़ती है – और ऐसा होने की सबसे बड़ी वजह है मुस्लिम वोट बैंक.

अयोध्या और राम मंदिर के मुद्दे पर अखिलेश यादव का ये बयान निश्चित तौर पर 2024 के लोक सभा चुनाव में राम मंदिर को मुद्दा बनने की संभावनाओं के बीच महत्वपूर्ण है, लेकिन जोखिमभरा भी है.

अयोध्या पर समाजवादी पार्टी का बदलता स्टैंड

ये मुस्लिम वोटबैंक का मोह ही है, जिसकी वजह से अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह यादव यूपी के मुख्यमंत्री रहते अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलाने के आदेश की ताउम्र याद दिलाते रहे. 2019 के आम चुनाव से पहले मुलायम सिंह यादव करीब करीब हर चुनाव से पहले कारसेवकों पर गोली चलवाने की कम से कम एक बार चर्चा करना नहीं भूलते थे. 2016 में मुलायम सिंह यादव ने अपनी दलील भी पेश की थी, अगर मस्जिद को गिर जाने देते, तो हिंदुस्तान का मुसलमान महसूस करता कि हमारे धर्मिक स्थल भी नहीं रहेंगे, तो देश की एकता के लिए वो खतरा होता, 16 जानें तो कम थीं, अगर 30 भी जानें जातीं, देश की एकता के लिए, तो भी मैं अपना फैसला वापस ना लेता.

असल में मुलायम सिंह यादव 2 नवंबर की सुबह की उस घटना की याद दिला रहे थे, जब अयोध्या के हनुमान गढ़ी के सामने लाल कोठी के संकरी गली में कारसेवक बढ़े चले जा रहे थे. सामने से आ रहे कारसेवकों पर पुलिस ने फायरिंग कर दी, और कोलकाता के कोठारी बंधुओं सहित करीब डेढ़ दर्जन लोगों की मौत हो गई थी.

अयोध्या मसले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद समाजावादी पार्टी नेतृत्व के रुख में काफी बदलाव महसूस किया गया. अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाने के बाद से मुलायम सिंह यादव को उनके राजनीतिक विरोधी बीजेपी नेता ‘मुल्ला मुलायम’ कह कर संबोधित करने लगे थे.