साल 2013 में चीन ने साफ हवा की चाह लेकर वायु प्रदूषण के खिलाफ एक जंग छेड़ी थी. इसे वॉर ऑन पॉल्यूशन कहा गया था. इसके बाद से चीन की हवा में ऐतिहासिक सुधार हुआ लेकिन बीत रहे साल यानी 2023 की एक रिपोर्ट चीन की चिंताएं बढ़ाने वाली है. चीन में साल 2023 में हवा की गुणवत्ता खराब हुई है. 2023 में प्रांतों के 80 फीसदी तक राजधानी पिछले साल के मुकाबले प्रदूषित रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि चीन में बड़े पैमाने पर फॉसिल फ्यूल यानी तेल, कोयले और गैस का इस्तेमाल हो रहा है.

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लिन एयर यानी सीआरईए ने अपनी एक रिपोर्ट में इन बातों को उजागर किया है. रिपोर्ट के मुताबिक चीन में पीएम 2.5 के स्तर में इजाफा हुआ है. सीआरईए ने यह जानकारी चीनी सरकार के डेटा और मशीन लर्निंग की मदद से तैयार किया है. रिपोर्ट में सीआरईए ने इस अंतर का भी ख्याल रखा है कि हवा, जलवायु के असर से खराब हो रही है या फिर लोगों की ओर से की जा रही कार्बन एमिशन से. पीएम 2.5 के स्तर वाली हवा से स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा होता है. इस कारण असायमयिक निधन, सांस लेने में दिक्कत और फेफड़े से जुड़ी समस्याएं होती हैं.

चीन ने कैसे लड़ी प्रदूषण के खिलाफ जंग

ये बात अब पुरानी हो गई लेकिन एक वक्त तक बीजिंग समूची दुनिया में एयर पॉल्यूशन की वजह से बदनाम था. खासकर ठंड में यहां एयर क्वालिटी बहुत खराब हो जाया करती थी. इसके बाद चीन ने प्रदूषण के खिलाफ जैसे जंग का ऐलान कर दिया. 2015 में विंटर ओलंपिक की नीलामी जीत जाने के बाद चीन ने अपने यहां दर्जनों कोयले के प्लांट बंद कर दिए. साथ ही जो बड़े उद्योग और कारखाने थे, उसको बीजिंग से कहीं और शिफ्ट कर दिया. इसके बाद चीन में हवा की गुणवत्ता सुधरी. हां ये जरुर है कि वह फिर भी डब्ल्यूएचओ के लेवल से नीचे ही बनी रही.