उत्तर प्रदेश में अब माता-पिता ने नाबालिग बच्चों को वाहन थमाया तो उन्हें तीन साल की जेल हो सकती है. उत्तर प्रदेश सरकार ने इसकी तैयारी कर ली है, प्रदेश में नाबालिगों के कारण होने वाली दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए यूपी सरकार ने यह प्रावधान सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है.
परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह द्वारा हाल ही में जारी निर्देश के बाद परिवहन विभाग के सहयोग से सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाया गया. तय किया गया कि विभिन्न माध्यमों से छात्रों को सड़क सुरक्षा के बारे में जानकारी दी जाएगी.
अभिभावक ही होंगे दोषी
यूपी के माध्यमिक शिक्षा निदेशक महेंद्र देव ने मंगलवार को प्रदेश के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को जारी पत्र में परिवहन आयुक्त द्वारा 27 दिसंबर को दिये गये आदेश का जिक्र किया है. पत्र में कहा गया है कि परिवहन आयुक्त ने नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सभी संभागीय परिवहन अधिकारियों और सहायक संभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया है.
पत्र के अनुसार, मोटर वाहन संशोधन अधिनियम 2019 की धारा 199 (ए) के तहत प्रावधान किया गया है कि किसी किशोर द्वारा किए गए मोटर वाहन संबंधी अपराध में उसके अभिभावक या वाहन के मालिक को ही दोषी माना जाएगा. इसके तहत अभिभावक या वाहन मालिक को तीन साल की सजा और 25,000 रुपये का जुर्माना हो सकता है.
सख्ती से लागू होंगे प्रावधान
परिवहन विभाग के सूत्रों के मुताबिक, इस प्रावधान को अब और सख्ती से लागू किया जाएगा. पत्र के मुताबिक, परिवहन आयुक्त ने परिवहन अधिकारियों को भेजे पत्र में यह भी कहा है कि उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य शुचिता चतुर्वेदी ने पिछले साल 15 दिसंबर को पत्र लिखकर बताया था कि कई दुर्घटनाएं हो रही हैं. 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों द्वारा चलाये जा रहे वाहनों के कारण ऐसा हो रहा है.
सड़क हादसों में मरने वाले 40% नाबालिग
लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी और लोहिया इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले 40% लोग नाबालिग होते हैं. परिवहन विभाग को लिखे पत्र में चतुर्वेदी ने यह भी आदेश दिया था कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों द्वारा ड्राइविंग पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए और सभी शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए.