देश दुनिया की नजरें अयोध्या पर हैं. जहां 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन होना है. उसी दिन देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे. इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के लिए देश भर से आठ हजार लोगों को निमंत्रण भेजा जा रहा है. श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से सबको कार्ड भेजा जा रहा है. पीएम नरेन्द्र मोदी को सबसे पहला कार्ड मिला. फिर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को. सोनिया गांधी समेत कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी और पार्टी अध्यक्ष मल्लीकार्जुन खरगे को भी न्यौता भेजा गया है. लेकिन कांग्रेस के किसी भी नेता ने अब तक कार्यक्रम में जाने या न जाने की जानकारी नहीं दी है. सीपीआईएम के नेता सीताराम येचुरी को भी ट्रस्ट की तरफ़ से आमंत्रित किया गया था लेकिन उन्होंने जाने से मना कर दिया है.

यूपी में विपक्ष की तरफ से दो बड़े चेहरे हैं. दोनों नेता अपनी अपनी पार्टियों के अध्यक्ष हैं. साथ ही देने नेता राज्य के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. बीएसपी अध्यक्ष मायावती अब तक राम मंदिर के मुद्दे पर खामोश हैं. वे इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहती हैं. लेकिन समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव का मामला थोड़ा अलग है. राम मंदिर को लेकर उनके बयान आते रहते हैं. पहले उन्होंने कहा था कि उन्हें कोई निमंत्रण नहीं मिला है. जब मिलेगा, तब देखा जाएगा. इसके कुछ ही दिनों बाद अखिलेश यादव का एक और बयान आ गया. इस बार उन्होंने कहानी में नया ट्विस्ट ला दिया. ये बात हफ्ते भर पहले की है. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हम सब लोग उस परंपरा को मानते हैं कि जब भगवान बुलाते हैं तभी हमें दर्शन मिलता है. उससे पहले या बाद में कुछ नहीं होता है. उन्होंने कहा कि मैं जब भी घर से बाहर निकलता हूँ तो भगवान के दर्शन कर निकलता हूं.

भगवान बुलाते हैं तो दौड़े चले जाते हैं

राम मंदिर और सनातन धर्म पर बयान को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य विवादों में रहते हैं. तीन दिन पहले अखिलेश यादव उनके बर्थ डे कार्यक्रम में पहुंचे थे. राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर यहाँ भी उनसे सवाल हुए. तो अखिलेश बोले भगवान से बड़ा कोई भी नहीं है. न हम और न ही आप. जब भगवान बुलाते हैं तो लोग दौड़े चले जाते हैं. अब ये भी सही है कि भगवान कब किसे बुला लें, ये किसी को नहीं पता. पिछले कुछ दिनों में अखिलेश यादव कई बार कह चुके हैं कि उन्हें तो किसी प्रकार का निमंत्रण ही नहीं मिला है. लेकिन विश्व हिंदू परिषद के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने कह दिया है कि उनका नाम तो लिस्ट में है. आलोक कुमार ने कहा राम मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम में कई राजनैतिक दलों के अध्यक्षों को बुलाया जा रहा है. इस नाते हम अखिलेश यादव को भी बुला रहे हैं और मायावती को भी.

क्या अखिलेश अयोध्या जाएंगे?

सूत्रों की मानें तो राम जन्म भूमि ट्रस्ट से जुड़े लोग अखिलेश यादव से मिल कर उन्हें आमंत्रित करना चाहते हैं. लेकिन इसके लिए अब तक उन्हें समय नहीं मिल पाया है. समाजवादी पार्टी के एक सीनियर लीडर ने कहा कि अखिलेश किसी भी तरह से फोटो ऑप से बचना चाहते हैं. वे नहीं चाहते हैं कि ट्रस्ट के लोगों के साथ उनकी कोई फोटो आए. वैसे भी राम मंदिर के उद्घाटन के बहाने वे बीजेपी के निशाने पर हैं. बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक की मांग है कि अखिलेश यादव को अयोध्या न बुलाया जाए. पाठक ने कहा कि जिस पार्टी की सरकार ने कारसेवकों पर गोली चलाई उस पार्टी के नेता को बुलाना उचित नहीं होगा. अखिलेश यादव का प्रयास है कि किसी भी तरह 22 जनवरी की तारीख निकल जाए.