हेमंत सोरेन सरकार को है ED-CBI का डर
बीते कुछ महीनों से झारखण्ड के सीएम को ईडी नोटिस भेज रही है और वे इसे नजरअंदाज करते आ रहे है, अब इसी कहानी में एक और मोड़ आ गया है, दरअसल झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने एक बड़ा फैसले लेते हुए जांच एजेंसियों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है. राज्य सरकार ने आदेश जारी किया है कि किसी भी अधिकारी के पास अगर किसी केंद्रीय जांच एजेंसी का नोटिस आता है और किसी तरह के दस्तावेज मांगे जाते हैं तो जांच से जुड़े दस्तावेज पर सीधे जवाब ना दें बल्कि अपने विभाग के जरिए सरकार की जानकारी में लाएं.
एक तरफ जहां झारखंड में कई अलग-अलग घोटालों में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई और ईडी की जांच तेज हो रही है, ठीक उसके उलट राज्य सरकार का झारखंड के अधिकारियों को जारी नया फरमान एजेंसियों के लिए मुसीबत बन सकता है. झारखंड के मुख्यमंत्री की प्रधान सचिव ने राज्य में ईडी/सीबीआई जैसी केन्द्रीय जांच एजेंसियों की लगातार चल रही जांच को लेकर झारखंड राज्य के अधिकारियों को एक गोपनीय चिट्ठी लिखकर आदेश जारी किया है कि केंद्रीय जांच एजेसियों के नोटिस और जांच से जुड़े दस्तावेज पर सीधे जवाब ना दें, बल्कि अपने विभाग के जरिए सरकार को इस बात की जानकारी दें. यह चिट्ठी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुख्य सचिव वंदना दादेल ने इसी साल 9 जनवरी को लिखी है, जिसमें मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग को नोडल विभाग बनाया है.
जारी आदेश में क्या लिखा है
वंदना दादेल ने अधिकारियों को जारी की गई इस गोपनीय चिट्ठी में लिखा है कि पिछले कुछ समय से राज्य के बाहर केंद्रीय जांच एजेंसियां बिना सरकार के सक्षम प्राधिकार (ऐसा व्यक्ति अथवा संगठन जिसके पास संबधित विषय में निर्णय लेने की वैधानिक क्षमता हो) लिखे सीधे पदाधिकारियों को नोटिस भेज पूछताछ के लिए बुलाती है. साथ ही सरकारी दस्तावेजों की भी मांग करती है. ऐसे मामलों में वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में मामले को लाए बिना अधिकारी पूछताछ में शामिल होते थे और सरकारी दस्तावेजों को इन जांच एजेंसियों को सौंप देते थे जो गलत है. जो सूचनाएं दी जाती है, संभावना है कि वो आधी अधूरी हो या गलत हो जिससे भ्रमक स्थिति पैदा हो जाती है.
अब क्या रहेगी प्रक्रिया
आदेश में कहा गया है कि इन जांच एजेंसियों को सहयोग करने के लिये और सभी जरूरी दस्तावेजों को देने के लिये एक जरुरी प्रकिया बनायी जा रही है. राज्य सरकार के पास अपनी भ्रष्टाचार निरोधर ब्यूरो यानी ACB है जो विजिलेंस विभाग के अधीन है. इसलिए विजिलेंस विभाग को राज्य सरकार से बाहर की एजेंसियों की तरफ से मांगी गयी जानकारी के बारे में जानकारी देने के लिये मंत्रीमंडल सचिवालय और विजिलेंस विभाग को नोडल विभाग बनाया जा रहा है. मतलब अगर केन्द्रीय जांच एजेंसियां कोई जानकारी मांगती है तो पहले हर अधिकारी अपने विभागाध्यक्ष को जानकारी दें और विभागाध्यक्ष इसके बारे में नोडल एजेंसी यानी मत्रीमंडल सचिवालय और विजिलेंस विभाग को दे. दोनों विभाग मांगी गयी जानकारी के बारे में कानूनी सलाह लेगें और उसी के हिसाब से केन्द्रीय जांच एजेंसियां को जानकारी दी जायेगी.