लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी
मौनी अमावस्या का हिन्दू धर्म में काफी महत्व माना जाता है, मौनी अमावस्या स्नान के मौके पर श्रद्धालु प्रयागराज स्थित संगम में डुबकी लगा रहे हैं. शास्त्रों में इस दिन मौन रहकर दान और स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस दिन किए गए दान-पुण्य और पूजन से अन्य दिनों की तुलना में हजारों गुणा पुण्य प्राप्त होता है और ग्रह दोषों के प्रभाव भी कम होते हैं. इस दिन प्रात: स्नान के बाद सूर्य को दूध, तिल से अर्घ्य देना भी विशेष लाभकारी होता है.
माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या कहा जाता है. मौनी अमावस्या के दिन लोग पवित्र नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं. शास्त्रों में इस दिन मौन रहकर दान और स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस दिन किए गए दान-पुण्य और पूजन से अन्य दिनों की तुलना में हजारों गुणा पुण्य प्राप्त होता है और ग्रह दोषों के प्रभाव भी कम होते हैं. इस दिन प्रात: स्नान के बाद सूर्य को दूध, तिल से अर्घ्य देना भी विशेष लाभकारी होता है.
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9 साल बाद फरवरी में मनाई जा रही है मौनी अमावस्या
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 9 फरवरी को सुबह 8 बजकर 02 मिनट से होगी. अगले दिन यानी 10 फरवरी को सुबह 4 बजकर 28 मिनट पर इसका समापन होगा. ऐसे में इस साल 9 फरवरी को मौनी अमावस्या मनाई जाएगी. इसके अलावा अमावस्या के दिन तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, वस्त्र और आंवला दान में देना शुभ माना जाता है. साथ ही इस दिन पितरों को अर्घ्य देना और पितृ तर्पण करना शुभ होता है.