Captain Anshuman Singh: देश में पिछले दिनों एक मुद्दा उठा जो था NOK काम… दरअसल, Captain Anshuman Singh के शहीद होने के बाद से ही ये मुद्दा गरमाया हुआ है, बता दें की इस नियम में जवान के शहीद हो जाने के बाद अगर उनकी शादी नहीं हुई है तो सरकार की तरफ से दी जाने वाली राशि पर उनके माता-पिता का हक होता है, लेकिन जब जवान की शादी हो जाती है तो यह सारी राशि उन की पत्नी को दी जाती है.
सीएम यादव ने की बड़ी घोषणा
बता दें की कैप्टन अंशुमान सिंह के शहीद हो जाने के बाद से ही NOK को लेकर उठा विवाद थमने का नाम नही ले रहा है, लेकिन अब इस मामले को लेकर एमपी से एक अच्छी खबर सुनने को मिल रही है, एमपी के सीएम मोहन यादव ने घोषणा करते हुए कहा की प्रदेश के किसी भी जवान के शहीद होने पर दिए जाने वाली राशि में से 50 प्रतिशत पत्नी को और 50 प्रतिशत शहीद के माता-पिता को दी जाएगी।
क्या था पूरा विवाद?
ये पूरा विवाद तब खाद हुआ जब कप्तान अंशुमान की पत्नी स्मृति सिंह और उनकी माँ को कीर्ति चक्र दिया गया था, लेकिन वो भी उन की पत्नी स्मृति सिंह अपने साथ लेकर चली गई है और राशि भी उन्हीं को दी जाएगी, जिसके बाद अब शहीद अंशुमान के माता-पिता NOK में बदलाव की मांग कर रहे हैं उनका कहना है की हमारे पास बेटे की क्या निशानी बची.
क्या होता है ये NOK?
अब कई लोगों को शायद NOK के बारे में नहीं पता होगा तो बता दें की इसे कानूनी उत्तराधिकारी भी कह सकते हैं. NOK का मतलब होता है कि जो भी जवान सेना में शामिल होता है अगर उसे कुछ हो जाता है तो राशि उसके NOK को ही दी जाएगी. जब एक जवान सेना में जाता है तो NOK में उस के माता-पिता का नाम दर्ज किया जाता है, लेकिन शादी के बाद जवान की पत्नी का नाम दर्ज कर लिया जाता है और अनुग्रह राशि उन को दी जाती है.
जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश के सीएम ने राज्य पुलिस के एक कार्यक्रम में शहीदों के परिवार को मिलने वाली राशि के बंटवारे पर चल रहे विवाद के बीच बड़ी घोषणा की, उन्होंने कहा कि अब से प्रदेश के किसी भी जवान के शहीद होने पर दिए जाने वाले 1 करोड़ रुपये की राशि में से 50 प्रतिशत पत्नी को और 50 प्रतिशत माता-पिता को दी जाएगी।