IAS Pooja Khedkar News: पिछले काफी समय से IAS Pooja Khedkar विवादों में नजर आ रही थीं, पूजा के झूठ ने पूजा को ही फसा दिया है, दरअसल, महाराष्ट्र में सेवाएं दे चुकी ट्रेनी आईएएस अधिकारी रही पूजा खेडकर की अफसरी को अब पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है.
पूजा खेडकर की नौकरी गई
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर पर एक्शन लेते हुए उनकी अस्थायी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया है. इसके अलावा खेडकर पर भविष्य में होने वाली किसी भी परीक्षा में शामिल होने पर रोक लगाई गई है. खेडकर के तमाम दस्तावेजों की जांच के आधार पर यूपीएससी ने खेडकर को सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन करने का दोषी पाया. वहीं UPSC ने बुधवार को यह ऐलान कर दिया कि पूजा के ट्रेनी आईएएस अधिकारी के टैग को खत्म कर दिया गया है.
काफी समय से ऐसा माना जा रहा था की आईएएस पूजा की नौकरी जा सकती है, जो की सच साबित हुआ, खेडकर के तमाम दस्तावेजों की जांच के आधार पर यूपीएससी ने खेडकर को सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन करने का दोषी पाया.
भेजा था कारण बताओ नोटिस
UPSC ने पहले ही इस एक्शन के संकेत दिए थे. हाल ही में UPSC ने पूजा खेडकर के खिलाफ कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था. इस नोटिस में पूछा गया था कि क्यों न पूजा खेडकर की सिविल सेवा परीक्षा-2022 की उम्मीदवारी को रद्द किया जाए, यूपीएससी ने इस मामले के तहत एक एफआईआर भी दर्ज कराई थी.
हालाँकि अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि क्या पूजा खेड़कर अपने इन कारनामों के चलते अब जेल जाएगी या नहीं. वहीं शिकायत के आधार पर दिल्ली पुलिस ने पूजा खेडकर के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मुकदमा दर्ज किया था. सिविल सेवा आयोग का दावा था कि पूजा ने सिस्टम का मिसयूज किया.
पूजा खेडकर के इस मामले की जांच के लिए यूपीएससी ने पिछले 15 साल के डेटा की समीक्षा की. इसके बाद सामने आया कि खेडकर का इकलौता केस था जिसमें यह पता नहीं लगाया जा सका कि खेडकर ने कितनी बार यूपीएससी का एग्जाम दिया. क्योंकि उन्होंने हर बार न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदल लिया था. लेकिन अब कभी भविष्य में ऐसा न हो सके. इसके लिए यूपीएससी एसओपी को और मजबूत करने की तैयारी कर रही है.
ऐसे लाइमलाइट में आई पूजा
दरअसल, पूजा खेडकर अपने शौक और सुविधाओं के लिए चर्चा में आई थीं. और इतना ही नहीं पूजा ने आईएएस अफसर बनने के लिए भी ना जाने कितने झूठ का सहारा लिया था, पूजा खेडकर पर आरोप लगाया गया कि आईएएस अधिकारी के रूप में उन्होंने उन सुविधाओं की मांग की, जिनकी वे हकदार नहीं थीं.