UPSC Lateral Entry News: देश में UPSC में लेटरल एंट्री को लेकर बहस छिड़ने के बाद अब मंगलवार को केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगाने का आदेश दे दिया है. यानी अब उच्च पदों पर नियुक्ति मामले में केंद्र सरकार ने यूटर्न ले लिया है.
पत्र में क्या लिखा
इस संबंध में कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है. उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगाई जाए. कार्मिक मंत्री ने पत्र में कहा कि सरकार ने यह फैसला लेटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत लिया है.
क्यों लिया गया ये फैसला?
इस पत्र में कहा गया है कि अधिकतर लेटर एंट्रीज 2014 से पहले की थी और इन्हें एडहॉक स्तर पर किया गया था. प्रधानमंत्री का विश्वास है कि लेटरल एंट्री हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के समान होनी चाहिए, विशेष रूप से आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए
कहा जा रहा है कि सिंह के इस पत्र के बाद UPSC नोटिफिकेशन वापस लेने का औपचारिक आदेश जारी करेगी. 3 दिन पहले यूपीएससी ने संयुक्त सचिव और निदेशक स्तर के 45 पदों के लिए लेटरल एंट्री से भर्ती का विज्ञापन निकाला था.
बता दें की UPSC के विज्ञापन के सामने आने के बाद पूरे देश में बवाल मच गया. विपक्ष ने इस विज्ञापन को संविधान, दलित और आदिवासियों के हकमारी से जोड़ दिया. सरकार के सहयोगी दल भी इस पर खुलकर मैदान में उतर गए. आखिर में 72 घंटे तक चले रस्साकसी के बाद केंद्र ने इस आदेश को वापस लेने का ऐलान कर दिया.
राहुल गांधी जमकर भड़के
इस मामले में विपक्ष ने भी जमकर निशाना साधा, बता दें लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगाने के केंद्र सरकार के आदेश पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कहा कि संविधान और आरक्षण व्यवस्था की हम हर कीमत पर रक्षा करेंगे. भाजपा की लेटरल एंट्री जैसी साजिशों को हम हर हाल में नाकाम करके दिखाएंगे.