Kanhaiya Lal Murder Update: आज से दो साल पहले 28 जून, 2022 को उदयपुर में दर्जी कन्हैयालाल की सरेआम हत्या में शामिल आरोपी मोहम्मद जावेद को राजस्थान हाईकोर्ट ने कमजोर जांच और तथ्यों की वजह से जमानत दे दी.

इससे पहले 1 सितंबर 2023 को आरोपी फरहाद मोहम्मद शेख उर्फ बाबला को भी जमानत मिल चुकी है. जावेद को तो राजस्थान उच्च न्यायालय से बेल मिली जबकि फरहाद को राष्ट्रीय जांच एजेंसी की कोर्ट ने जमानत दिया था.

जस्टिस पंकज भंडारी की खंडपीठ ने सुनवाई करते कहा कि NIA ने महज कॉल डिटेल के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार किया, जांच एजेंसी न तो आरोपी जावेद की लोकेशन साबित कर सकी, न ही उससे किसी तरह की बरामदगी ही कर सकी।

क्या है आरोप?

बता दें कि मोहम्मद जावेद पर कन्हैया लाल की हत्या से पहले इलाके की रेकी करने का आरोप था. कन्हैया की हत्या के एक महीने के बाद जावेद की गिरफ्तारी एनआईए ने की थी. एनआईए इस केस की जांच हत्या के अगले ही दिन से कर रही है.

डॉक्ट्रिन ऑफ प्ली एलिबाई

अब सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर जावेद को जमानत कैसे मिल गई? लीगल एक्सपर्ट से यह जानते हैं कि आखिर क्या है डॉक्ट्रिन ऑफ प्ली एलिबाई, जिसका फायदा आरोपी को मिला।

आमतौर पर पुलिस संदेह के आधार पर ही किसी मामले में किसी को गिरफ्तार कर सकती है पुलिस के पास यह पावर है कि अगर किसी अपराध में किसी पर संदेह है तो पहले उसके खिलाफ शुरुआती जांच की जाती है, पर्याप्त सुबूत मिलने पर ही वह गिरफ्तार कर सकती है। चार्जशीट साक्ष्यों और तथ्यों का पुलिंदा है।

कैसे हुई थी कन्हैया लाल की हत्या?

राजधानी जयपुर से करीब 400 किलोमीटर दूर उदयपुर में हाथीपोल इलाके में 28 जून, 2022 को दर्जी की दुकान चलाने वाले कन्हैया लाल की निर्ममता से हत्या कर दी गई थी. आरोप था कि कन्हैया लाल ने सोशल मीडिया के जरिये भाजपा की प्रवक्ता रहीं नुपूर शर्मा के उस बयान का समर्थन किया था जो उन्होंने पैगंबर साहब को लेकर दिया था.

बता दें कि दो युवक दुकान पर आते हैं और धारदार हथियार से कन्हैया लाल की गला रेतकर हत्या कर देते हैं. और न केवल सिर्फ इतना, बल्कि उन्होंने इस घटना का वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर डाल दिया. पुलिस ने मुस्तैदी दिखाते हुए दोनों को कुछ ही घंटे के भीतर गिरफ्तार किया. आज भी ये दोनों अजमेर जेल में बंद हैं.