S Jaishankar In Pakistan: भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शिरकत करने पाकिस्तान दौरे पर गए हैं, लेकिन वहां उन्होंने चीन और पाकिस्तान की पोल खोलकर रख दी है.

पाकिस्तान-चीन को घेरा

बैठक को संबोधित करते हुए एस जयशंकर ने पाकिस्तान-चीन के चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर प्रोजेक्ट के कारण भारतीय संप्रभुता के उल्लंघन का मुद्दा उठाया है, उन्होंने कहा कि आतंकवाद और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते.

क्या बोले विदेश मंत्री

एससीओ समिट को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आगे कहा कि एससीओ के सदस्य देशों का सहयोग परस्पर सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए.

यह जरूरी है कि सभी देश क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दें. इसके लिए वास्तविक साझेदारी का निर्माण होना चाहिए, न कि एकपक्षीय एजेंडे पर आगे बढ़ा जाना चाहिए.

विदेश मंत्री ने CPEC की ओर इशारा करते हुए कहा कि यदि हम दुनिया की चुनिंदा प्रथाओं को ही आगे बढ़ाएंगे खासकर व्यापार और व्यापारिक मार्गों के लिए तो SCO की प्रगति नहीं हो पाएगी.

बता दें कि चीन या पाकिस्तान का नाम लिए बिना विदेश मंत्री ने कहा कि सभी देशों को एक दूसरे की सीमाओं का सम्मान करने की जरूरत है.

इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने SCO बैठक की शुरुआत करते हुए कहा कि पाकिस्तान शांति, सुरक्षा और सामाजिक, आर्थिक तरक्की चाहता है.

संप्रभुता की सम्मान की बात

उन्होंने कहा कि वैश्वीकरण और पुनर्संतुलन वर्तमान समय की वास्तविकताएं हैं. एससीओ देशों को इसे आगे बढ़ाने की आवश्यकता है. विदेश मंत्री ने कहा कि परस्पर सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए.

क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देनी चाहिए और वास्तविक साझेदारी पर निर्माण करना चाहिए, न कि एकतरफा एजेंडे पर. एससीओ वैश्विक प्रथाओं को चुनिंदा तरीके से अपनाकर प्रगति नहीं कर सकता है, खासकर व्यापार और परिवहन के मामले में.

पाकिस्तान को लेकर क्या बोले

पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए जयशंकर ने कहा कि अगर आपसी विश्वास में कमी आई है या फिर पर्याप्त सहयोग नहीं मिल रहा है… अगर दोस्ती में गिरावट आई है और अच्छे पड़ोसी की कमी महसूस हो रही है तो इसके पीछे के कारणों का विश्लेषण करना चाहिए.

जयशंकर ने कहा ने कहा कि SCO का मकसद पूरा करने के लिए आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ना जरूरी है। इसके लिए एक-दूसरे पर भरोसा और ईमानदारी की जरूरत है.