India Canada Row: कनाडा (Canada) के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (PM Justin Trudeau) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं, अब उन पर एक और नई मुसीबत आ कड़ी हुई है. विपक्षियों के हमले के बीच खुद की ही पार्टी के सांसदों ने जस्टिन ट्रूडो को इस्तीफा देने का अल्टीमेटम थमा दिया है.

जिससे अब उनकी कुर्सी पर भी अब संकट गहरा गया है, इस्तीफा ना देने पर उनके खुलाफ विद्रोह की चेतावनी भी दी गई है. ट्रूडो की पार्टी लिबरल के सांसद अब उनसे चौथी बार चुनाव न लड़ने का आग्रह कर रहे हैं.

28 अक्टूबर तक का समय

कनाडाई मीडिया के अनुसार, जस्टिन ट्रूडो का विरोध करने वाले लिबरल पार्टी के सांसदों ने उन्हें 28 अक्टूबर, 2024 तक पद छोड़ देने को कहा है, पद ना छोड़ने पर इन सांसदों ने खुली बगावत की चुनौती दी है.

बता दें कि ट्रूडो के खिलाफ इस मुहिम में कम से कम 30 सांसद शामिल हैं, इससे पहले जस्टिन ट्रूडो को पद से हटाने की मांग पर लगभग 20 सांसदों हस्ताक्षर के लिए सहमत हुए थे.

पार्टी का बदला रुख, ट्रूडो की मुसीबत

इस बीच अपनी राजनीतिक पार्टी के कई सदस्यों के साथ बैठक करने के बाद जस्टिन ट्रूडो ने मुस्कुराते हुए कहा कि लिबरल्स मजबूत और एकजुट हैं. हालांकि उनकी पार्टी के सांसदों का बदला रुख अलग ही कहानी बयां कर रही है.

लिबरल पार्टी (Liberal Party) के सांसद सीन केसी ने कहा कि यह कनाडा के हित में होगा कि जस्टिन ट्रूडो अपना इस्तीफा सौंप दें। उन्होंने कहा कि इसी से लिबरल पार्टी की सरकार बच सकती है. उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं होता होता तो कंजर्वेटिव पार्टी आसानी से जीत दर्ज कर लेगी.

इस्तीफे के बाद ये है रणनीति

लिबरल पार्टी के सांसदों ने कहा है कि ट्रूडो के इस्तीफे के बाद नए नेता की तलाश की जाएगी, इससे पार्टी के खिलाफ देश में बने माहौल को ठंडा करने में मदद मिलेगी.

वहीं दूसरी तरफ ट्रूडो के कई कैबिनेट मंत्रियों ने भी दोबारा चुनाव ना लड़ने का मन बना लिया है. उनके चुनाव ना लड़ने के पीछे ट्रूडो के चलते लिबरल पार्टी की अलोकप्रियता कारण बताई जा रही है. कनाडा के सर्वे भी ट्रूडो और उनकी पार्टी की बुरी हालत बयाँ कर रहे हैं.

100 सालों में नहीं हुआ ऐसा

बता दें की पिछले 100 सालों में कोई भी कनाडाई प्रधानमंत्री लगातार चार बार चुनाव नहीं जीत पाया है. ट्रूडो की लिबरल पार्टी को हाल ही में टोरंटो और मॉन्ट्रियल के दो जिलों में हुए चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, जिस वजह से अब पार्टी के भीतर ट्रूडो के नेतृत्व पर संदेह पैदा हो गया है.