Jet Airways: बंद पड़ी एयरलाइन जेट एयरवेज (Jet Airways) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लिक्विडेशन का आदेश दे दिया है, यानी एविएशन सेक्टर का कभी सबसे चमकता सितारा रही जेट एयरवेज अब पूरी तरह इतिहास के पन्नों में सिमटने जा रही है.
इस एयरलाइंस को दोबारा शुरू करने की काफी कोशिशें की गईं, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसके बाद हर तरह की संभावना पर विराम लग गया है.
शुरू नहीं होगी जेट एयरवेज
कोर्ट का कहना है कि इस मामले में NCLAT का फैसला शीर्ष अदालत के जनवरी 2023 के फैसले की घोर अवहेलना है, कोर्ट के मुताबिक NCLAT ने जेट एयरवेज के रेजॉल्यूशन एप्लिकेंट जालान-कालरॉक कंसोर्टियम की 150 करोड़ रुपये की परफॉरमेंस बैंक गारंटी के समायोजन की अनुमति देकर न्यायालय के जनवरी 2023 के आदेश की अवहेलना की है.
समाधान प्रस्ताव के मुताबिक एयरलाइन में 350 करोड़ रुपये के निवेश की जरूरत थी, NCLAT ने परफॉरमेंस बैंक गारंटी को इसके अगेंस्ट एडजस्ट करने की अनुमति दी थी.
क्या होता है लिक्विडेशन?
आपको बता दें कि किसी कंपनी का लिक्विडेशन उसके एसेट्स इत्यादि को बेचकर उसे पूरी तरह खत्म करना होता है. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने NCLAT के एक फैसले को खारिज कर दिया. अब इस कंपनी का अस्तित्व सिर्फ इतिहास की किताबों में ही नजर आएगा.
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में जस्टिस जे.बी. पारदीवाला एवं जस्टिस मनोज मिश्रा की खंड पीठ ने जेट एयरवेज के मामले में उसके लिक्विडेशन का फैसला सुनाया है.
SBI की याचिका पर आया फैसला
कोर्ट ने इस मामले में दाखिल कई अपीलों पर यह आदेश दिया, इनमें एक अपील बैंकों की भी थी जिन्होंने जेट एयरवेज को जालान-कालरॉक कंसोर्टियम को बेचने के एनसीएलटी के आदेश को चुनौती दी गई थी.
एसबीआई की अगुवाई में बैंकों ने तर्क दिया है कि यह कंसोर्टियम एयरलाइन के अधिग्रहण के लिए शर्तों को पूरा करने में विफल रहा है और अब एयरलाइन को रिवाइव करने की स्थिति में नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एयरलाइंस का लिक्विडेशन इसे कर्ज देने वाले बैंकों, इसके वर्कर्स और अन्य स्टेक होल्डर्स के हित में होगा. कंपनी की संपत्तियों को बेचकर आने वाले पैसे कर्जदारों के ऋणों का भुगतान किया जाएगा. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एनसीएलएटी को उसके फैसले के लिए फटकार भी लगाई है.