बिहार की राजधानी पटना के रहने वाले विनोद कुमार सिंह ने विलुप्त हो रही देसी गायों और उनके बछड़ों को बचाने की मुहिम शुरू की है. उन्होंने अपनी गौशाला की सभी 500 देसी गायों और बछड़ों का बकायदे नाम रखा गया है. इन्हें सुबह शाम भगवान का भजन भी सुनाया जाता है. विनोद कहते हैं कि इस गौशाला को दुग्ध व्यवसाय की जगह गौसेवा भावना के लिए खोला गया है.

गाय के दूध की बिक्री नहीं करते हैं विनोद

बिहार के पटना ज़िले से करीब 20 किलोमीटर दूरी पर बसा बिहटा प्रखंड के विष्णुपुरा गांव के रहने वाले विनोद कुमार सिंह कहते हैं कि उनकी गौशाला में 500 के आस-पास गिर नस्ल की गायें हैं. इन गायों से मिलने वाले दूध की वह बिक्री नहीं करते हैं. इस दूध को गायों की सेवा करने वालों को फ्री में दे दिया जाता है.

देसी गाय के पालन को बढ़ाना है उद्देश्य

विनोद कहते हैं कि 20 से 25 साल पहले तक सभी के दरवाजे पर देसी गाय जरूर होती थीं. हालांकि, यह संख्या अब बहुत कम हो गई है. हमारे लिए गाय धरती पर भगवान का रूप है. भगवान राम, कृष्ण या फिर भोले शंकर गौमाता से काफी प्रेम करते थे. मेरी सोच है कि बिहार में हर घर में लोग देसी गाय को पाले और उनके बछड़े को बचाने की मुहिम छेड़े.

भजन पर झूम उठती हैं गायें

इस गौशाला में सेवा में लगे सेवकों का कहना है कि गायों को सुबह शाम भजन सुनाया जाता है. गायें भजन पर झूमती हुई दिखती हैं. रास्ते से गुजरने वाले लोग भी गौशाला के गेट के बाहर खड़े होकर हाथ जोड़कर इसे प्रणाम कर आगे निकल जाते हैं. इस गौशाला में लहसुन प्याज पर भी प्रतिबंध है. गायों को प्रसाद के रूप में हर दिन फल और गुड़ का भोग लगाया जाता है.