मध्य प्रदेश के खरगोन में एक ऐसा संयुक्त परिवार है, जिसमें कुल 90 से अधिक सदस्य हैं. इस परिवार की 17 महिलाएं तो सरकार की विभिन्न योजनाओं से लाभांवित हैं. इन्हें हर महीने 62 हजार रुपये का सरकारी लाभ मिल रहा है. इनमें 12 महिलाएं लाडली बहना योजना से लाभांवित हैं तो पांच को प्रधानमंत्री आवास योजना और किसान सम्मान निधि का लाभ मिल रहा है. चूंकि इतना बड़ा परिवार है, इसलिए गांव का नाम ही इस परिवार के मुखिया के नाम पर है. इस गांव का नाम वासल्या फलिया है.
परिवार की इतनी बड़ी आबादी के बाद भी एकजुट होने पर खुद खरगोन के डीएम शिवराज सिंह वर्मा ने इनकी सराहना की है. जानकारी के मुताबिक यह गांव खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 45 किमी दूर भगवानपुरा विकासखंड की ग्राम पंचायत देवाड़ा में है. इस परिवार के मुखिया के नाम पर वासल्या फलिया है. वैसे तो जनजातीय परिवारों के एक फलिये में 8-10 परिवार रहते हैं, लेकिन पूरा वासल्या फलिया एक ही परिवार का है. कहा जाता है कि स्वर्गीय वासल्या पटेल के इस परिवार में उनके 5 बेटे और 6 भाई हैं.
इस परिवार में कुल 44 पुरुष और 46 महिलाओं समेत 90 लोग हैं. इस परिवार में कुछ लोगों की रसोई अलग तो है, लेकिन पूरा परिवार आज भी एक साथ रहता है और एकजुट रहता है. जनजातीय समुदाय के नागरिकों में ये पुरानी परंपरा है कि वह विवाह के बाद अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अलग मकान में रहने लगते हैं और लेकिन उनकी रसोई और कृषि सामूहिक होती है. कई बार इनकी रसोई अलग भी हो जाती है, लेकिन इनकी एकजुटता पर असर नहीं पड़ता.
इसी परंपरा के तहत वासलया पटेल (ब्राम्हणे) का परिवार भी सामूहिक तौर पर एकजुट होकर रह रहा है. वासल्या के परिवार में भी ऐसा ही है. यहां सभी भाइयों की रसोई अलग-अलग है, घर भी इन्होंने अलग बना लिया है, लेकिन खेती इनकी सामूहिक है. अभी दो महीने पहले ही प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना शुरू किया था. इसमें वासल्या परिवार की महिलाओं ने भी आवेदन किया और 12 महिलाओं का चयन हो गया. जिला प्रशासन का दावा है कि संभवतः प्रदेश का यह इकलौता परिवार है, जिसमें एक ही परिवार की सबसे अधिक लाड़ली बहना हैं.