बिहार के भभुआ में शौचालय घोटाला में परत दर परत खुलासा हो रहा है. इस मामले का पहले तब सामने आया जब भभुआ के बीडीओ मनोज कुमार अग्रवाल ने भभुआ थाने में चार सरकारी कर्मचारी के खिलाफ फर्जी शौचालय निर्माण और सरकारी राशि हड़पने का मुकदमा दर्ज कराय. बीडीओ ने FIR में 272 लाभुकों के नाम पर सरकारी राशि हड़पने का आरोप लगाया था. अब इस मामले में बीडीओ के संलिप्ता की भी बात कही जा रही है. जिसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है.

शौचालय घोटाले में 272 लाभुकों के नाम पर 30. लाख 48 हजार रुपए का घोटाला हुआ है. मामला सामने आने के बाद इसमें बिहार के सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ भी FIR की बात कही जा रही थी. इसके बाद से लगातार यह मामला सुर्खियों में था. जबकि बिहार के सीएम नीतीश कुमार का इस मामले से दूर-दूर तक कोई लेना देना नहीं है.

कर्मी का नाम है नीतीश कुमार

फिर सवाल उठ रहा है कि शौचालय घोटाले में नीतीश कुमार का नाम क्यों आ रहा है. दरअसल भभुआ के BDO मनोज कुमार अग्रवाल ने जिन चार सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है उसमें एक कर्मी का नाम नीतीश कुमार है. नीतीश कुमार भुभुआ प्रखंड कार्यालय में कार्यपालक सहायक है ना कि बिहार के सीएम नीतीश कुमार. कार्यपालक सहायक नीतीश कुमार के साथ जिला समन्वयक हेमंत कुमार, जिला सलाहकार यशवंत कुमार और डीआरए के सहायक पंकज कुमार को आरोपी बनाया गया है.

मामले में BDO सस्पेंड

अब तो इस मामले BDO मनोज कुमार को भी सस्पेंड कर दिया गया है. मनोज कुमार के खिलाफ भभुआ डीएम ने शांति समिति की बैठक में शामिल नहीं होने, शौचालय कार्य में लापरवाही बरतने और लोहिया स्वच्छ भारत अभियान में 30 लाख 48 हजार रुपए के गबन में सलिप्तता, सीनियर अधिकारियों का आदेश नहीं मानने और कोर्ट पर गलत टिप्पणी का आरोप लगाया था.

जिसके बाद जांच टीम ने इन आरोपों की समीक्षा की और उनपर लगे आरोप को गंभीर बताया गया और जांच की बात कही गई. इसके साथ ही कहा गया कि अगर वह पद पर रहते हैं तो जांच प्रभावित कर सकते हैं. इसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है.