अबकी सावन बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ के चढ़ावे में 400% की बढ़ोतरी हुई। 1 करोड़ 63 लाख से ज्यादा शिव भक्तों ने बाबा के चरणों में 16 करोड़ 89 लाख रुपए दान कर दिए। पिछले साल सावन में यह चढ़ावा 3.40 करोड़ रुपए था। हालांकि, इस बार सावन के दिन भी पिछले साल के मुकाबले दोगुना थे। फिर, भी यह आंकड़ा पिछले सावन से कहीं ज्यादा है।

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (CEO) सुनील कुमार वर्मा ने कहा कि इस साल बाबा के भक्तों और चढ़ावा दाेनों रिकॉर्ड बन गया। पिछले सारे रिकॉर्ड टूट गए। इस बार सावन पर कुल 1 करोड़ 63 लाख 17 हजार भक्तों ने बाबा के दरबार में हाजिरी लगाई। पिछले सावन पर 1 करोड़ भक्तों का मंदिर में आगमन हुआ था।

सावन के बाद से मंदिर में बढ़ीं ये सुविधाएं

CEO वर्मा ने बताया कि सावन भर मंदिर में ड्रिंकिंग वाटर, शैडो की व्यवस्था, मैट, साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया था। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास द्वारा दर्शनार्थियों और पर्यटकों की बेहतर व्यवस्था करने के लिए सुगम दर्शन व्यवस्था में 50 कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके अलावा सफाई व्यवस्था में 200 कर्मियों और दर्शनार्थियों को बेहतर सुरक्षा और सुविधा देने के लिए 100 कर्मियों को लगाया गया था।

श्री काशी विश्वनाथ धाम में विभिन्न स्थानों पर दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए फ्री लॉकर और हेल्प डेस्क बनाए गए हैं। मंदिर में दर्शन करने आने वाले बूढ़ाें और दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए फ्री व्हीलचेयर की व्यवस्था भी की गई। ये सारी सुविधाएं अभी भी मंदिर में भक्तों को दी जा रही हैं।

एक साल में 7 करोड़ 20 लाख भक्त आए

ICICI डायरेक्ट के अनुसार, साल 2022 में बाबा विश्वनाथ मंदिर में 7 करोड़ 20 लाख शिवभक्तों ने दर्शन किया। श्रीकाशी विश्वनाथ कॉरिडोर के बनने के बाद से देश-दुनिया के पर्यटकों ने दिल खोलकर काशी के रेहड़ी-पटरी, ठेला, चाट, कपड़ा, होटल, ऑटो, गेस्ट हाउस, नाविकों, श्रमिकों, हैंडीक्राफ्ट वालों पर धन लुटाया है। इससे लोकल लोगों की अर्थव्यवस्था में भी तेजी से उछाल देखने को मिली है।

पूरे सावन सड़कों पर सिर्फ श्रद्धालु ही श्रद्धालु दिखे

काशी में गंगा घाट दशाश्वमेध से लेकर गोदौलिया, चौक, मैदागिन और विश्वनाथ परिसर तक की सड़कें पूरे सावन श्रद्धालुओं से पटी रहीं। मंदिर तक जाने वाले रास्ते की हवाओं में फूल, दूध, बेलपत्र और धूप की महक आती रही। मंदिर के गर्भगृह में बाहर से झांकी दर्शन हुआ। एक बार में 8-9 भक्तों को ही बाबा का जलाभिषेक करने दिया जा रहा था।