कहते हैं कि सड़क किसी भी देश औऱ प्रदेश की विकास की धमनियां होती हैं लिहाजा इसको लेकर सियासी दावे भी खूब होते हैं. खुद मध्यप्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) दावा करती है कि राज्य की सड़कें अमेरिका जैसी हैं. शिवराज सरकार (Shivraj Government) का दावा है कि जब से उसकी सरकार सत्ता में आई है तब से मध्यप्रदेश में सड़कों का कायाकल्प हो चुका है. लेकिन जब आप राजधानी भोपाल (Capital Bhopal) के कुछ इलाकों में जाएंगे तो वहां आपको सरकारी दावे दम तोड़ते नजर आएंगे.
ऐशबाग में सड़कों का ‘नाश’ हुआ
आप भोपाल के ऐशबाग इलाके (Aishbagh area of Bhopal) को ही ले लीजिए. यहां सड़क कम है गड्ढे ज्यादा हैं. इतने बड़े गड्ढे हैं कि अगर कहीं आपकी गाड़ी फंस जाए तो गिरना निश्चित है. बारिश के समय में इसमें और भी ज़्यादा परेशानी होने शुरू हो जाती है. थोड़ा आग बढ़िए तो भारत टॉकीज ब्रिज पर भी यही हाल है. इसका पुनर्निर्माण किया जा रहा था.
गोविंदपुरा में 12 इंच तक गड्ढे
अब गोविंदपुरा इलाके का हाल ले लीजिए. यहां भी सड़कें कम गड्ढे ज्यादा हैं. जब ये सड़क बेहद व्यस्त रहता है लेकिन यहां गाड़ियां 20-30 की स्पीड पर भी सकुशल चले तो गनीमत है. गोविंदपुरा विधानसभा में 12 इंच से ज्यादा के गड्ढे हैं … इलाके में स्थित बीएचईएल फैक्ट्री ने देश की तस्वीर बदली, लेकिन इन गड्ढों में गिरकर कई चेहरों की तस्वीर बदल गई है, बात तंज में कही गई है लेकिन है गंभीर.
सभी सड़कें खराब नहीं
हालांकि ऐसा भी नहीं है कि भोपाल की सभी सड़कें खराब ही हैं. आप उस इलाके में चले जाइए जहां प्रदेश के मंत्री, विधायक और बड़े अधिकारी रहते हैं तो वहां आपको सड़कें चमचमाती मिल जाएंगी. खराब सड़कों के मुद्दे पर कांग्रेस के पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का कहना है कि गोविंदपुरा और नेरला तो शिवराज सरकार के मंत्री का इलाका है. लेकिन जब वहीं की सड़कें बदहाल हैं तो आप प्रदेश की सड़कों की हालत का खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं. दरअसल ये सरकार केवल दावे करती है हकीकत से इनका वास्ता नहीं है. दूसरी तरफ बीजेपी प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी का कहना है कि साल 2003 के बाद से प्रदेश में सड़कों की स्थिति सुधरी है. कांग्रेस जो मुद्दा नहीं है उसे भी मुद्दा बनाती है.