झारखंड राज्य में सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं. यह हड़ताल अनिश्चित कालीन है. हालांकि हड़ताल के दौरान भी इमरजेंसी सेवा चालू रहेगी, बावजूद इसके यहां हजारों मरीजों की जान अब भगवान भरोसे हो गई है. यह हड़ताल जमशेदपुर के सबसे बड़े अस्पताल एमजीएच में शिशु रोग विशेषज्ञ के साथ मारपीट के विरोध में हो रही है. यह वारदात तीन दिन पहले की है. उसके बाद डॉक्टरों ने पुलिस और प्रशासन को आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए 21 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया था.
डॉक्टरों के मुताबिक यह वारदात सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी. पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया, लेकिन अभी तक पुलिस ने आरोपियों की ना तो पहचान की और ना ही अब तक इस मामले में किसी की गिरफ्तारी हो सकी है. ऐसे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, झारखंड स्टेट और झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ (झासा ) के आह्वान पर आज से यानी 22 सितंबर से राज्य के सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में कार्यरत करीब 12 हजार डॉक्टर कामकाज छोड़ कर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर चले गए हैं.
हड़ताली डॉक्टरों ने राज्य भर के मरीजों को और राज्य सरकार को भरोसा दिया है कि इमरजेंसी सेवाएं तो जारी रहेंगी, लेकिन सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में इनडोर और ओपीडी सेवा पूरी तरह से ठप रहेगी. आईएमए के पदाधिकारियों के मुताबिक तीन दिन पहले जमशेदपुर के सबसे बड़े अस्पताल महात्मा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल ( एमजीएच ) में इलाज के दौरान एक बच्चे की मौत हो गई थी. इस बात का गुस्सा बच्चे के परिजनों ने पीजी मेडिकल के छात्र डॉ. कमलेश उरांव पर उतारा और बुरी तरह से मारपीट की थी.
वायरल हो रहा मारपीट का वीडियो
संगठन के मुताबिक सीसीटीवी कैमरे में कैद इस पूरी वारदात का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था.यह फुटेज कब्जे में लेने के बावजूद भी अब तक पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करना तो दूर, उनकी पहचान तक नहीं कर सकी है. जबकि संगठन की ओर से इसके लिए 21 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया गया था. आखिर में कोई कार्रवाई नहीं हुई तो सभी डॉक्टरों ने एकराय होकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.