अक्टूबर-नवंबर का महीना किसानों के लिए धान की फसल की कटाई का होता है. इस वक्त पराली जलाने की घटनाएं बढ़ जाती हैं. प्रदूषण के स्तर में भी भारी इजाफा देखा जाता है. स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए इस बार हरियाणा सरकार पहले से ही तैयार नजर आ रही है. करनाल जिला प्रशासन ने जिले में फसल अवशेषों की घटनाओं को शून्य स्तर तक पहुंचाने के लिए अधिकारियों-कर्मचारियों की टीमों को फील्ड में उतार दिया है.

पराली जलाने पर देना होगा जुर्माना

अधिकारियों-कर्मचारियों की टीमें गांव दर गांव जाकर किसानों, ग्रामीणों को फसल अवशेष जलाने से होने वाले नुकसानों के बारे में अवगत कराएगी. पराली जलाने वाले किसानों पर नियम अनुसार जुर्माना भी लगाया जाएगा. कृषि विभाग के मुताबिक, पराली जलाने वाले किसानों को 25 सौ रुपये से लेकर 15 हजार रुपये तक फाइन देना होगा. विभाग द्वारा किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन तरीकों के बारे में जागरूक करने के लिए होर्डिंग लगवाई जा रही है. साथ ही दीवारों पर पेंटिंग की जा रही है.

डॉ. वजीर सिंह, उप-निदेशक बताया कि पिछले साल करनाल जिले में पराली जलाने की घटनाओं में करीब 65 प्रतिशत की कमी आई है. इस बार हमें पराली जलाने की घटनाओं को शून्य करना है. पराली जलाने की घटना पर रोक लगाने के लिए सब डिवीजन लेवल पर नोडल अधिकारी तैनात किए जाएंगे.

लोगों कों किया जा रहा जागरूक

ग्रामीण क्षेत्र में आग लगाने की घटनाओं की मॉनिटरिंग ग्राम सचिव, पटवारी और कृषि विभाग के कर्मचारी की टीम द्वारा की जाएगी. यह टीम फसल कटाई शुरू होने से पहले गांव में जाकर पंचायत, ग्राम सभा व अन्य सभाएं आयोजित करके पराली न जलाने के लिए लोगों को जागरुक भी करेगी. इसके अतिरिक्त जिन लोगों ने पिछले वर्ष पराली जलाई थी, उन लोगों के घर जाकर भी दोबारा पराली न जलाने के लिए जागरुक किया जा रहा है.