मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. बीजेपी पूरे दमखम के साथ चुनावी अभियान को धार देने में जुटी हुई है ताकि 2023 की चुनावी जंग फतह करके मिशन-2024 की मजबूत पठकथा लिखी जा सके. पांच राज्यों के में 3 राज्य में बीजेपी मुस्लिम कैंडिडेट उतारती रही है, लेकिन इस बार पार्टी पत्ते नहीं खोल रही है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ चुनाव को लेकर अभी तक जारी उम्मीदवारों की सूची में बीजेपी ने एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया है. ऐसे में सवाल उठता कि इस बार बीजेपी पिछली बार की तरह मुसलमानों पर भरोसा जताएगी या फिर गुजरात और यूपी वाले फॉर्मूले पर चुनाव मैदान में उतरेगी?

बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मध्य प्रदेश में एक, राजस्थान में एक और तेलंगाना में दो मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन एक भी मुस्लिम जीत नहीं सका था. हालांकि, उससे पहले 2013 में बीजेपी ने चार मुस्लिम कैंडिडेट राजस्थान में उतारा था, जिनमें से दो विधायक बनने में सफल रहे थे. वसुंधरा राजे की सरकार में युनुस खान को मंत्री भी बनाया था और उन्हें पीडब्ल्यूडी जैसे भारी-भरकम मंत्रालय दिए थे.

2018 के विधानसभा चुनाव में युनुस खान को डीडवाना की जगह टोंक सीट पर कांग्रेस के सचिन पायलट के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरा गया था. सीट बदल जाने और पायलट के सामने होने से वो जीत नहीं सके थे. इसी तरह मध्य प्रदेश में जनसंघ के दौर से मुसलमान पार्टी से जुड़े हुए थे और बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में भी मुस्लिम नेता शामिल रहे. तेलंगाना के पुराने हैदराबाद में मुस्लिम बहुल सीटों पर बीजेपी मुस्लिम कार्ड खेलती रही है, लेकिन मौजूदा दौर में पार्टी मुस्लिम पॉलिटिक्स पर अपना स्टैंड बदला है.